मानसून रिपोर्ट

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Kisaan Helpline

Agriculture Jul 21, 2015
भोपाल। राजधानी में अगले 24 घंटों में हल्की व मध्यम बारिश होती रहेगी। वहीं 24 से 26 जुलाई तक प्रदेश में भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है। उज्जैन, इंदौर, होशंगाबाद और सीहोर के लिए हाईअलर्ट जारी किया गया है। यहां निचले हिस्से तेज बारिश की वजह से डूब सकते हैं। उज्जैन में तो सड़कें नदियों में तब्दील हो गई हैं। आलम ये है कि पार्किंग में खड़ी गाड़ियां कागज़ की नाव की तरह बहती चली जा रही हैं।

प्रदेश में कई जगह भारी बारिश होने के आसार नजर आ रहे हैं। मौसम विज्ञान के निदेशक अनुपम काश्यपि के अनुसार, अगले 24 घंटों में इंदौर, होशंगाबाद, उज्जैन संभाग में मध्यम से भारी बारिश होगी। भारी बारिश की वजह से इंदौर, उज्जैन,सीहोर, होशंगाबाद के निचले हिस्सों में पानी भरने के आसार है। इसके साथ ही भोपाल, जबलपुर, शहडोल संभाग में हल्के से मध्यम बारिश होगी। वहीं, प्रदेश में कुछ-कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश होगी। बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। उज्जैन में सड़कों पर खड़ी गाड़ियां भी बह रही हैं।
  
 23, 24 जुलाई को प्रदेश में हल्की बारिश होने की संभावना है। उसके बाद प्रदेश का मौसम तेजी से बदलेगा। 24-25 को पूर्वी मध्य प्रदेश जिनमें जबलपुर, शहडोल संभाग, बालाघाट से लेकर सिंगरौली और 25-26 को पश्चिमी मप्र में भारी बारिश होने की संभावना है। यह सब बंगाल की खाड़ी वाले मानसून की वजह से होगा।

प्रदेश में यह है बारिश की स्थिति
  • प्रदेश में एक जून से 20 जुलाई 2015 तक हुई वर्षा के अनुसार 15 जिले में सामान्य से अधिक, 22 जिले में सामान्य और 14 जिले में कम वर्षा हुई है। सामान्य से अधिक वर्षा वाले नरसिंहपुर, छतरपुर, सतना, इन्दौर, धार, उज्जैन, रतलाम, देवास, शाजापुर, मुरैना, ग्वालियर, भोपाल, सीहोर, रायसेन एवं राजगढ़ है।
  •  सामान्य वर्षा वाले जिले जबलपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, डिण्डौरी, दमोह, रीवा, सीधी, शहडोल, उमरिया, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, मंदसौर, नीमच, आगर, भिण्ड, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, दतिया, विदिशा एवं बैतूल है।
  •  कम वर्षा वाले जिले कटनी, बालाघाट, सिवनी, सागर, पन्ना, टीकमगढ़, सिंगरौली, अनूपपुर, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, श्योपुर, होशंगाबाद और हरदा है।
क्या होता है मानसून?
मानसून दक्षिण-पश्चिमी हवाओं को कहा जाता है, जो भारत सहित बांग्लादेश और पाकिस्तान में बारिश कराती है। हिंद महासागर और अरब सागर से यह हवाएं उठती हैं। यह हवाएं जून से सितंबर महीने तक सक्रिय रहती हैं और दक्षिण-पश्चिम से चलकर भारत और अन्य देशों में बारिश लाती हैं। मानसून शब्द का पहली बार प्रयोग ब्रिटिश काल में हुआ था। हाइड्रोलॉजी में मानसून को उन हवाओं के रूप में जाना जाता है, जो किसी क्षेत्र में एक विशेष मौसम में खूब बारिश कराती है। अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी अब मानसून शब्द का प्रयोग किया जाता है। मानसूनी हवाएं ठंडे क्षेत्र से गर्म क्षेत्र की ओर बहती है। इसलिए नमी की मात्रा बहुत बढ़ जाती है और बारिश होती है।

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