मानसून भरोसे कर दी बोवनी, लोटे-बाल्टी बन रहे हैं आसरा

मानसून भरोसे कर दी बोवनी, लोटे-बाल्टी बन रहे हैं आसरा
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Kisaan Helpline

Agriculture Jul 02, 2015

किसानों के लिए सलाह

उपसंचालक कृषि आरएस जमरा ने बताया सोयाबीन की बोवनी के लिए 15 जून से 7 जुलाई तक का उपयुक्त समय है। 5- 6 दिनों में जिन किसानों ने बोवनी की वे सिंचाई पर ध्यान दें। अंकुरित फसलों को पक्षियों से बचाने का प्रयास करें, 15 दिन से अधिक की फसलों के लिए बारिश का इंतजार किया जा सकता है। सूखे की स्थिति देख डोरा, कल्पा हस्तचलित होना चाहिए ताकी नमी रहे, सूखे से बचने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में जैविक मल्ब 5 टन प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग करना चाहिए।

5 तक नहीं है आसार

जिन किसानों ने बोवनी नहीं की है वह थोड़ा रुके। 5 जुलाई तक बारिश के आसार नहीं है लेकिन इस दौरान बादल जरूर रहेंगे। अब केवल हवाओं पर ही बारिश की संभावना जताई जा सकती है। डॉ. एसएन मिश्रा, मौसम विशेषज्ञ

नगरी | उम्मीद भरी बारिश बाद बोवनी कर चुके किसान बादलों की मेहरबानी का इंतजार कर रहे हैं। सोयाबीन की फसल का अंकुरण होने लगा है। दो दिन की धूप के बाद किसान खेतों में पहुंचकर खरपतवार हटाने में जुट गए। मिर्ची, बैंगन जैसी फसलों पर तेज धूप का असर न हो इसलिए मिट्टी की नमी का फायदा उठाने का जतन किसान कर रहे है। मिर्ची के पौधों की जड़ों में पानी दिया जा रहा है।

 

मानसून आगमन के भरोसे किसानों ने बोवनी कर दी। फसल अंकुरित हो गई। अब बारिश की खेंच से परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में खेतों में उगे पौधों को बचाने के लिए किसान परिवार सहित जुट गया है। जिन किसानों के पास पानी की व्यवस्था है वे सिंचाई कर रहे हैं और जिनके पास पानी नहीं है वे टैंकर मंगाकर लोटे, बाल्टियों से पौधों को पानी पिला रहे। मौसम विशेषज्ञ 5 जुलाई तक बारिश के आसार नहीं होने की बात कह रहे हैं। 26 जून तक तीन दिन हुई बारिश के बाद जिले करीब 60 प्रतिशत बोवनी हो चुकी हैं।

जिले में इस साल खरीफ की बोवनी करने वाले किसानों की हालत खराब है। 24 से 26 जून तक लगातार बारिश हुई। 5.4 इंच बारिश होने के बाद किसान मानसून को लेकर निश्चित हो गए और बोवनी में जुट गए। हालांकि जिले में हुई खंड वर्षा के बावजूद किसानों ने 2.80 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी कर है।

बदला मौसम- 27 जून के बाद मौसम ने करवट ले ली। बोवनी करने वाले किसानों के सामने फसलों को बचाने का संकट है। बारिश पर आश्रित सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को टैंकरों से खेत तक पानी पहुंचाना पड़ रहा है वे लोटे से एक-एक पौधे में पानी दे रहे हैं। नगरी के बद्रीलाल धाकड़ ने बताया मिर्ची की फसल बोई थी। बारिश नहीं होने से फसल बचाने का संकट है। पटलावद के ओंकारलाल शर्मा एवं पालड़ी के सुंदरलाल पाटीदार ने बताया फिलहाल फसलें ठीक है। तीन दिन बारिश नहीं होती है तो स्थिति खराब हो जाएगी।

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