नई दिल्ली। सरकार की योजना साल 2022 तक सभी को 24 घंटे बिजली मुहैया कराने की है। देश में बिजली की सप्लाई और डिमांड में काफी अंतर है। क्योंकि मांग के अनुपात में बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। जबकि इसकी बढ़ती हुई कीमतों ने आम आदमी के बजट को बिगाड़कर रख दिया है। ऐसे में सोलर पावर लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प बनकर उभरा है। जिसकी मदद से ग्रिड एनर्जी पर बढ़ती निर्भरता को भी कम किया जा सकता है। साथ ही सोलर पावर हेल्थ और पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। सरकार ने जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन के जरिए साल 2022 तक 1 लाख मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा है। जिसमें 40 हजार मेगावाट घर के छतों पर लगाए जाने वाले (रूफटाप) से और 60 हजार मेगावाट बिजली बड़े और मझोले ग्रिड से जुड़े हुए प्रोजेक्ट के जरिए पूरा किया जाएगा।
इसके अलावा सोलर पावर का करोबार करने वालों को भी सरकार मौका देगी। साथ ही देशभर में प्रोजेक्ट लगाने के लिए आर्थिक सहायता भी देगी। केंद्रीय अक्षय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) इन प्रोजेक्ट को यह आर्थिक सहायता वायबिलिटी गैप फंड (वीजीएफ) स्कीम के तहत देगी। वहीं, रूफटाप सोलर पावर प्रोजेक्ट और छोटे प्रोजेक्ट लगाने के लिए भी लोगों को सब्सिडी और वित्तीय सहायता भी सरकार मुहैया कराएगी जिसमें एफएआर और होम लोन आदि प्रमुख है। ताकि आने वाले समय में बिजली का प्रोडक्शन बढ़ाकर सभी को बिजली उपलब्ध कराया जा सके।
क्या है सोलर पावर और कैसे बनती है बिजली
सोलर पावर सूर्य से प्राप्त होने वाली शक्ति है। इस पावर को विद्युत में तबदील करके इसका इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल ऊर्जा के इसी रूप को हम सोलर पावर कहते हैं। सोलर पावर का इस्तेमाल घरों और कारों में किया जाता है। ऊर्जा का यह रूप साफ और प्रदूषण रहित होता है। सूर्य के जरिए ऊर्जा को प्राप्त करने और उसका इस्तेमाल करने के लिए सोलर पैनलों की जरूरत होती है। इन सोलर पैनलों को घर की छतों और खुले मैदान में रखा जाता है, जहां उस पर सूरज की सीधी धूप आती हो। सोलर पैनलों में सोलर सेल लगे होते हैं जो सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को इस्तेमाल करने योग्य बनाते हैं। क्योंकि सोलर पैनल द्वारा सोलर एनर्जी को बिजली में बदल दिया जाता है।