कम पानी और मिट्टी के बिना भी संभव है खेती, जानिए इस तकनीक के बारे में

कम पानी और मिट्टी के बिना भी संभव है खेती, जानिए इस तकनीक के बारे में
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Kisaan Helpline

Agriculture Jan 12, 2023
Hydroponics Farming : फसलों का मृदा रहित उत्पादन हाइड्रोपोनिक्स तकनीक (Hydroponics Techniques) में होता है, जिसमें फसलें जल या मृदा रहित माध्यम में उगाई जाती हैं। इस तकनीक के तहत पौधों की जड़ें पूर्ण और स्वस्थ विकास के लिए पानी या अन्य माध्यमों में घुले संतुलित और पौष्टिक तत्वों का उपयोग करती हैं। हाइड्रोपोनिक्स शब्द ग्रीक शब्द हाइड्रो से लिया गया है जिसका अर्थ है पानी और पोनोस का अर्थ है श्रम, जिसका अर्थ है "जल कार्यकारिणी"। हाइड्रोपोनिक्स या मिट्टी रहित पौधों का उत्पादन विभिन्न तकनीकों का एक संयोजन है जैसे मिट्टी रहित ठोस माध्यम और पौष्टिक घोल आदि। मिट्टी रहित खेती में बागवानी फसलों की विभिन्न फसलें जैसे सब्जियां, फूल और फल विभिन्न माध्यमों जैसे ग्रोबैग, पौट, पाईप, नलिका एवं ट्रे इत्यादि में होता है।

हाइड्रोपोनिक्स खेती के मुख्य लाभ:
  • मिट्टी रहित रोगाणुओं से बचाव।
  • मृदा निर्जीवीकरण और उपचार की बचत।
  • कम गुणवत्ता वाली मिट्टी के क्षेत्रों में स्वस्थ फ़सल उत्पादन।
  • निर्जीव माध्यमों में पोषक तत्वों का विधिवत नियंत्रण।
  • पर्यावरणीय मापदंडों का अनुकूलन।
  • उच्च एवं गुणवतापूर्ण उत्पादन।
  • उच्च पानी और उर्वरक उपयोग दक्षता।
  • वर्ष भर फसल उत्पादन।
हाइड्रोपोनिक्स खेती की विभिन्न तकनीकें
  • तरल माध्यम (उर्वरक फिल्म प्रौद्योगिकी, एनएफटी)
  • गहन प्रवाह तकनीक (डीएफटी)
  • जड़ डुबकी तकनीक, तरल पलावी तकनीक, कैपिलरी तकनीक
  • ठोस माध्यम (लटक बैग तकनीक, ग्रो बैग तकनीक)
  • ट्रे या गर्त तकनीक, मिट्टी रहित गमला तकनीक
  • एरोपोनिक्स (वाष्पीकृत जड़ प्रौद्योगिकी, धुंध सिंचित तकनीक)
हाइड्रोपोनिक्स खेती के लिए जल और उर्वरक प्रबंधन
ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन मिट्टी रहित हाइड्रोपोनिक्स खेती में पानी और उर्वरक प्रबंधन की सटीक तकनीक हैं। इस विधि में इन लाइन एवं स्टैक ड्रिपर्स की सहायता से जल एवं उर्वरक अनुक्रमण का विशेष महत्व है। समय-समय पर पौधों के विभिन्न चरणों में ईसी, पीएच और फर्टिगेशन सॉल्यूशन की नमी को मापा जाता है और इसकी नियंत्रित मात्रा को बनाए रखा जाता है। पौधों की आवश्यकता के अनुसार पानी के घोल के साथ प्रमुख और सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। पानी के घोल और पौधों की जड़ों का तापमान पर्यावरण के अनुसार बनाए रखा जाता है। आम तौर पर 100-150 लीटर टैंक में स्टॉक घोल बनाया जाता है और पौधों की आवश्यकता के अनुसार 1000 लीटर पानी में 1-3 लीटर स्टॉक घोल मिलाया जाता है। यह घोल पौधों में डिप फर्टिगेशन द्वारा लगाया जाता है।

भारत सरकार हाइड्रोपोनिक्स खेती में मदद करती है
भारत सरकार के निम्नलिखित विभाग हाइड्रोपोनिक्स खेती में मदद करते हैं।
  • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी)
  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम)

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