ज्वार हरा चारा फसल उगाने की तकनीक एवं उन्नत किस्मों की जानकारी

ज्वार हरा चारा फसल उगाने की तकनीक एवं उन्नत किस्मों की जानकारी
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Agriculture Mar 26, 2020
ज्वार जायद में मुख्य चारे की फसल है। ज्वार की फसल मुख्य रूप से हरे चारे के लिए उगाई जाती है। जबकि खरीफ में चारे की खेती चारा और अनाज दोनों के लिए की जाती है। इसकी फसल सिंचित और गैर-सिंचित दोनों अवस्थाओं में लगाई जाती है। इसकी फ़ीड में मुख्य रूप से 4.5 से 6.5 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन होता है, और उन्नत प्रजातियों में 7-9 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है।

ज्वार चारे के लिए भूमि: ज्वार की वृद्धि के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। दोमट, रेतीली दोमट और अच्छी जल निकासी वाली हल्की और औसत काली मिट्टी ज्वार की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है। ज्वार 30 से 75 सेमी बारिश वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

ज्‍वार की उन्नत किस्में: मीठी ज्वार (रियो): पी.सी.-6, पी.सी.-9, यू.पी. चरी 1 व 2, पन्त चरी-3, एच.-4, एच.सी.-308, हरियाणवी चरी-171, आई.जी.एफ.आर.आई.एम.-452, एस.-427, आर. आई.-212, एफ.एस.-277, एच.सी.-136

बहु कटाई वाली ज्वार प्रजातियां: एम.पी. चरी एवं पूसा चरी-23, एस.एस.जी.-5937 (मीठी सुडान), एम.एफ.एस.एच.-3, पायनियर-998

इन्हें अधिक कटाई के लिए ज्वार की सबसे अच्छी किस्म माना गया है। इनमें 5-6 प्रतिशत प्रोटीन होती है तथा ज्वार में पाया जाने वाला विष हाइड्रोसायनिक अम्ल कम होता है।

बुवाई का समय: शुष्क क्षेत्रों में, बारिश शुरू होते ही ज्वार की बुवाई की जानी चाहिए। जून / जुलाई में बुवाई ठीक समय माना गया है।

ज्वार फसल में बीज दर: छोटे बीज वाली किस्मों में बीज 25-30 किग्रा और अन्य प्रजातियों के लिए 40-50 किग्रा. प्रति हेक्टेयर रखा जाना चाहिए। लोबिया के साथ 2:1 के अनुपात में बोया जाना चाहिए।

ज्वार चारा फसल में उर्वरक: उन्नत किस्मों में 80-100 कि.ग्रा. नत्राजन, 40-50 कि.ग्रा. फास्फेट, 20-25 कि.ग्रा. पोटाश प्रतिहेक्टेयर की आवश्यकता होती है। इसके लिए एन.पी.के. 12:32:16 देशी जातियों के लिए 65 कि.ग्रा. एवं उन्नत किस्मों के लिए 100-120 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बुआई से पहले प्रयोग किया जाना चाहिए। यूरिया खड़ी फसल में देशी जातियों में 70 कि.ग्रा. एवं संकर जातियों में 140 कि.ग्रा. दो बार में आवश्यकतानुसार प्रति हेक्टेयर दिया जाना चाहियें।

फसल की कटाई: ज्वार फसल चारे के लिए 60-70 दिनों में कटाई योग्य हो जाती है। हरे चारे की कुल औसतन 250 से 600 क्विंटल प्रति हेक्टर प्राप्त की जा सकती है।

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