दुनिया की सबसे बड़ी उर्वरक विनिर्माण सहकारी समितियों में से एक इफको ने खेतों की उत्पादकता में सुधार के लिए नैनो-प्रौद्योगिकी के साथ उत्पादों का निर्माण किया है। इन उत्पादों में नैनो-नाइट्रोजन, नैनो-जस्ता और नैनो-कॉपर शामिल हैं। इन उर्वरकों का देश भर में बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जा रहा है और परीक्षणों में यह अच्छी तरह से सही निकला है।
इफको का दावा है कि नैनो नाइट्रोजन, जिंक और कॉपर किसानों को उनके खेतों में कम मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करने देते हैं और फसल की उपज को भी बढ़ाते हैं। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी के अनुसार, ये रसायन गुजरात के कलोल में अपने एक संयंत्र में स्थित इफको की प्रयोगशाला में तैयार किए गए हैं।
ये तीन नैनो उत्पाद मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाएंगे और पर्यावरण के अनुकूल हैं। इन उत्पादों से किसानों को बेहतर उपज प्राप्त करने में मदद मिलेगी, पारंपरिक उर्वरकों के उपयोग में 50 प्रतिशत तक की कमी आएगी। इस तरह, यह खेती की लागत को भी कम करेगा। इफको के गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जिलों के मुख्य फील्ड प्रबंधक बृजवीर सिंह ने कहा, इफको भारत का पहला सहकारी है जिसने नैनो-नाइट्रोजन का उत्पादन किया है, जिसे यूरिया के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक और नैनो कॉपर की 500 मिली की बोतल की कीमत करीब 240 रुपये है।