भारत सरकार किसानों के आय दोगुनी करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है। इसी के तहत खादी और ग्रामोद्योग आयोग भी किसान भाइयों के लिए एक ऐसा कदम उठाया है जो किसानों के काफी मुनाफे वाला साबित हो सकता है। दरअसल खादी और ग्रामोद्योग आयोग पूरे भारत में गाय के गोबर से खादी प्राकृतिक पेंट बनाने के 500 प्लांट को स्थापित करने पर काम कर रही है।
ये कदम किसानों के लिए हो सकता है फायदेमंद
भारत में ज्यादातर किसान खेती के अलावा पशुपालन पर भी निर्भर होता है। अब तक पशुओं के गोबर से जैविक खाद्य बनाकर खेतों में उपयोग किया जाता है। लेकिन खादी और ग्रामोद्योग आयोग के गोबर से पेंट बनाने की योजना से हजारों किसानों को रोजगार मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। इसके अलावा इससे तैयार होने वाला पेंट जैविक और सस्ता होगा है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा। सरकार ने इसके लिए तैयार किए गए प्रत्येक यूनिट से 1000 लीटर पेंट उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
प्राकृतिक पेंट की खाशियत
Eco Friendly Cow Dung Paint: यह गाय के गोबर से बना एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और इकोफ्रेंडली पेंट है। यह पेंट दीवाल पर रंगने के बाद ये 4 घंटे में ही सूख जायेगा। सबसे बड़ी बात इस पेंट की यह है कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें कोई और रंग भी मिला सकते हैं। यह पहला ऐसा पेंट है जो विष रहित होने के साथ साथ जीवाणु-रोधी और फफूंदी-रोधी गुणों से भरपूर है। यह पेंट पर्यावरण के अनुकूल, नॉन-टॉक्सिक, गंधहीन और सस्ता है।
प्राकृतिक पेंट को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने 12 जनवरी, 2021 लॉन्च किया था। इस कदम से अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए केवीआईसी ने इस परियोजना को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत शामिल किया है, जो रोजगार सृजन के लिए केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है।
प्राकृतिक पेंट (Prakritik Paint) से किसानों को होगा लाभ
किसान या पशुपालक गाय के गोबर को बेचकर रोजाना 100 रूपए से 125 रूपए तक की कमाई कर सकता है, साथ ही महीने के तीन हजार से चार हजार रूपए गाय के गोबर को बेचकर किसान कमा सकता है। इस पेंट के लिए गाय का गोबर बेचने वाले किसानों, गौ पालकों को 30,000 रूपए की सालाना आमदनी हो सकती है।
बाजार में बढती मांग
छह महीने पहले लांच हुए इस प्राकृतिक पेंट की मांग लगातार बढ़ रही है। लोग अपने घरों को इससे रंग रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग आयोग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इसकी सेल काफी बेहतर है। अब खादी ग्रामोद्योग ने इसकी ऑनलाइन बिक्री भी शुरू कर दी है। जिसके बाद से देशभर में कहीं से भी लोग ऑर्डर करके इस पेंट को मंगवा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के गौठानों में अब गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाएगी सरकार
छत्तीसगढ़ राज्य में गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से प्राकृतिक पेंट भी बनाया जाएगा। इसके लिए गांव के गोठानों में प्लांट लगाने की तैयारी हो रही है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर केंद्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग और जयपुर के कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट तकनीकी हस्तांतरण के लिए तैयार हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग इन संस्थानों के साथ तकनीकी हस्तांरण संबंधी एक करार पर हस्ताक्षर किया है।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गोधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण कराया गया है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपये किलो में गोबर की खरीदी की जा रही है, जिससे वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट, खाद का निर्माण करने के साथ ही महिला समूह गोबर से अन्य उत्पाद तैयार कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में गोबर से विद्युत उत्पादन की परियोजना की भी शुरूआत हो चुकी है। अब गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाया जाएगा।
ऐसे बनेगा गोबर से प्राकृतिक पेंट
प्राकृतिक पेन्ट निर्माण का मुख्य घटक कार्बोक्सी मिथाईल सेल्यूलोज (सी.एम.सी.) होता है। 100 किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेन्ट की मात्रा का 30 प्रतिशत भाग सी.एम.सी.का होता है। कृषि विभाग द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना में 25 गौठानों में पेंट निर्माण इकाई तथा 50 गौठानों में सीएमसी इकाई की स्थापना की जाएगी। इसके लिए गोधन न्याय योजनांतर्गत न्यूनतम 400 किलो गोबर प्रतिदिन क्रय किये जाने वाले सड़क मार्ग से जुड़े गौठानों का चयन किया गया है, जहां वर्किंग शेड, विद्युत एवं पानी उपलब्ध है।