देश का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार केन्द्र बना कृषि विवि का चारा अनुसंधान केंद्र

देश का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार केन्द्र बना कृषि विवि का चारा अनुसंधान केंद्र
News Banner Image

Kisaan Helpline

Agriculture Mar 01, 2019

 

रायपुर, छत्तीसगढ़। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अखिल भारतीय समन्वित चारा अनुसंधान परियोजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में संचालित चारा अनुसंधान केन्द्र को देश के सर्वश्रेष्ठ केन्द्र के रूप में पुरस्कृत किया गया है। रायपुर केन्द्र को यह पुरस्कार चारा फसलों पर किये गए अनुसंधान की उत्कृष्टता, किसानों के खेतों में इसके प्रसार तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से चारा फसलों के विस्तार के लिए दिया गया है।

 

आयोजन में पहुंचे कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो वर्ष 2050 तक देश में 10 हजार मीट्रिक टन से अधिक हरे चारे के आवश्यकता होगी। देश भर में पशुओं के लिए हरा चारा का संकट शुरू हो जाएगा। इसके उदाहरण कई राज्यों में देखे भी जा रहे हैं। इसलिए हायड्रोपोनिक तकनीक से हरा चारा का उत्पादन किसानों के लिए काफी कारगर होगा। आने वाले समय में चारे के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी होना संभव नहीं है, इसलिए चारा उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है।

 

देश भर में 22 केन्द्र संचालित

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ. आरके सिंह ने कहा देश में आज 176 मिलियन टन दूध का उत्पादन हो रहा है। अखिल भारतीय समन्वित चारा अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत देश भर में 22 केन्द्र संचालित हैं। इनमें एक केन्द्र इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में भी संचालित है।

 

यह केन्द्र वर्ष 2010 से संचालित है और देश का सबसे नवीन केन्द्र है। इस केन्द्र में 10 चारा फसलों पर खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसम में अनुसंधान कार्य किये जा रहे हैं। कृषि महाविद्यालय, रायपुर में आयोजित परियोजना की राष्ट्रीय समूह बैठक के दौरान यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

 

कार्यक्रम के अतिथियों अनिता योगेन्द्र शर्मा विधायक धरसींवा, डॉ. विनय जायसवाल विधायक मनेन्द्रगढ़, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक डॉ. आर.के. सिंह तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एसके पाटील द्वारा परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डॉ. एसके झा एवं सहयोगियों को पुरस्कार प्रदान किया गया।

 

बार्क के सहयोग से तिवरा पर परियोजना

चारा फसलों में मक्का, बहुवर्षीय ज्वार, नेपीयर घास, बाजरा, जई, चारा बरबट्टी, बरसीम, रिजका, सुडान-सोर्घम और राईस बीन आदि शामिल हैं। साथ ही हायड्रोपोनिक तकनीक से चारा उत्पादन किया जा रहा है। इस अनुसंधान केन्द्र द्वारा साल भर हरा चारा प्राप्त करने के लिए फसल चक्र का एकवर्षीय एवं बहुवर्षीय मॉडल तैयार किया गया है। यहां चारा फसलों का जनन द्रव्य संग्रहण भी किया जा रहा है।

 

इस केन्द्र में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेन्टर (बार्क) के सहयोग से तिवरा फसल की चारे के रूप में उपयोगिता पर विशेष परियोजना भी संचालित की जा रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एसके पाटील ने देश के सर्वश्रेष्ठ केन्द्र के रूप में चुने जाने पर प्रमुख अन्वेषक तथा उनके सहयोगियों को बधाई एवं शुभकामना दी है।

Agriculture Magazines

Pashudhan Praharee (पशुधन प्रहरी)

Fasal Kranti Marathi

Fasal Kranti Gujarati

Fasal Kranti Punjabi

फसल क्रांति हिंदी

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline