1. सबसे पहले चने की बुवाई के समय आखरी बार बोई गई फसल के बचे हुए अवशेषों को खेतों से इकट्ठा करके नष्ट कर दीजिये।
2. अगर आप गर्मी के मौसम में खेतों की गहरी जुताई करते है तो उससे बीज एवं मिट्टीजनित रोगों के संक्रामण से बीज एवं कीटों के लार्वा, प्यूपा एवं निम्फ पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं।
3. अगर सम्भव हो सके तो उन खेतों में जहाँ रोगों का संक्रमण अधिक पाया जाता है वहां 3 वर्षों तक चने की खेती न करे, उत्पादन की नजर से देखा जाये तो ऐसा नुकसानदायक साबित हो सकता है।
4. उकठा, स्तंभ मूल एवं शुष्क मूल विगलन में आप गोबर की खाद (कम्पोस्ट) का इस्तेमाल कर सकते है।
5. फसल की बुवाई अक्टूबर से पहले या नवंबर माह के पहले सप्ताह तक करने से बहुत सारे रोग एवं फली छेदक कीटों के संक्रामण से बचा जा सकता है।
6. अगर आपका खेत ऐसे क्षेत्रों में आता है जहाँ स्तंभन रोग एवं अल्टरनेरिया ब्लाईट का प्रकोप ज्यादा हो वहाँ पर बुवाई देर से करनी चाहिए।
7. आप प्रयास करे की चने की खेती के लिए प्रतिरोधी/सहिष्णुता प्रजतियां मुख्य रूप से प्रयोग करें।