भिन्डी को कैसे बचाएं रोगों और कीटों से.......

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Kisaan Helpline

Agriculture May 19, 2018

इस समय भिंडी की फसल पर विशेषतोर से ध्यान देने की आवश्यकता है, अधिक गर्मी तथा मौसम बदलने के कारण विभिन्न कीट एवं बीमारियों का प्रकोप हो सकता है। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज फैजाबाद द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र पाँती अंबेडकर नगर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रवि प्रकाश मौर्य ने भिंडी की खेती करने वाले किसान भाइयों को भिंडी के पौधे को कीट और रोगों से बचाने की सलाह दी है। उन्होने बताया कि इस समय भिंडी में फल छेदक एवं लालवग कीट व पीला मुजैक बीमारी का भिंडी की फसल पर प्रकोप हो सकता है। फल वेधक कीट पहले कोमल टहनियो और बाद में फल में छेद करता है। जिसके कारण प्ररोह/टहनियाँ मुरझाकर सूख जाते हैं।

ग्रसित फलियां टेढ़ी-मेड़ी हो जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए नीम बीज चूर्ण 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 दिनों के अंतराल पर 5 बार छिडकावं करें अथवा मैलाथियान 50 ई.सी 2 मिलीटर को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। भिंडी के लालवग कीट के शिशु  एवं प्रौढ, दोनों पत्तियो का रस चूसकर नुकसान करते हैं। जिससे पत्तियां सूख जाती हैं। इसकी रोकथाम हेतु थायोमेथोक्जेम 75 एस.जी.75 ग्राम 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति बीघा की दर से छिड़काव करें। पीला शिरा मुजैक बीमारी कै प्रकोप होने पर पतियों की शिराये पीली होकर मोटी हो जाती है। बाद में पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। रोग की उग्र अवस्था में तने एवं फलो का रंग पीला पड़ जाता है। पौध एवं फलिया छोटे रह जाते हैं।

यह रोग सफेद मक्खीयों के द्वारा फैलता है इसके प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8. एस. एल. 1 मिलीलीटर को 2 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। कीटनाशी छिडकाव से पहले तैयार फलो को तोड ले। कीटनाशी छिडकाव के बाद एक सप्ताह तक फलों का प्रयोग न करें।

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