भारतीय सेना राशन में मोटे अनाज फिर से करेगी शामिल, अब जवानों को मिलेगा "मोटे अनाज" से बना भोजन

भारतीय सेना राशन में मोटे अनाज फिर से करेगी शामिल, अब जवानों को मिलेगा "मोटे अनाज" से बना भोजन
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Kisaan Helpline

Agriculture Mar 25, 2023
Millets Meals:भारतीय सेना के खान-पान में बदलाव होने वाला है। मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना ने सैनिकों के राशन में मोटे अनाज के आटे को शामिल करने का फैसला किया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किया गया है और भारतीय सेना इसे ध्यान में रखते हुए मोटे अनाज की खपत को बढ़ावा दे रही है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मोटे अनाज से तैयार आटे को जवानों को दिए जाने वाले आहार में शामिल करना शुरू किया गया है। 

ऐतिहासिक निर्णय यह सुनिश्चित करेगा कि लगभग 50 साल के बाद सैनिकों को स्वदेशी और पारंपरिक अनाज राशन उपलब्ध कराया जाए, क्योंकि पहले के समय में गेहूं के आटे को बढ़ावा देने के लिए इन्हें बंद कर दिया गया था।

मोटे अनाज के सेवन से कई स्वास्थ्य लाभ

यह साबित हो चुका है कि पारंपरिक मोटा अनाज को खाने में इस्तेमाल करने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इसके अलावा हमारी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल मोटे अनाज से तैयार खाद्य पदार्थ जीवन शैली से संबंधित बीमारियों को दूर करने और सैनिकों के संतोष और मनोबल को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। मोटा अनाज अब सेना में सभी रैंकों के दैनिक भोजन का एक अभिन्न हिस्सा होगा।

25 प्रतिशत से अधिक मोटे अनाज शामिल करने की मांग

वर्ष 2023-24 से सैनिकों को प्रदान किये जाने वाले खाद्यान्नों में प्राधिकृत पात्रता अनाज (चावल एवं गेहूँ का आटा) के 25 प्रतिशत से अधिक मोटे अनाज से तैयार आटे की खरीद के लिये सरकार से अनुमति मांगी गयी है। मोटे अनाज की सरकारी खरीद और उसका वितरण उपयोग किए जाने वाले अनाज की पसंद और उसकी मांग पर निर्धारित मात्रा के आधार पर होगा। मोटे बाजरे के आटे की तीन लोकप्रिय किस्में यानी बाजरा, ज्वार और रागी को वरीयता को ध्यान में रखते हुए सैनिकों को उपलब्ध कराया जाएगा। बाजरा प्रोटीन, सूक्ष्म पोषक तत्वों और फाइटो-केमिकल्स का एक अच्छा स्रोत है। इसके बहुत से फायदे हैं, जो सैनिकों के आहार की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं।

पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज

ज्वार, बाजरा, रागी, सावन, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू जैसी मोटे अनाज वाली फसलों को मिलेट्स फसल (Millets Crops) कहा जाता है। मिलेट्स को सुपरफूड कहा जाता है क्योंकि इनमें पोषक तत्वों की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है। मिलेट्स रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के अनुसार रागी में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। रागी में प्रति 100 ग्राम में 364 मिलीग्राम तक कैल्शियम होता है। रागी में आयरन की मात्रा भी गेहूं और चावल से अधिक होती है।


आर्मी केंटीन और बड़े आयोजनों में मोटा अनाज का होगा व्यापक उपयोग

इसके अलावा, बड़े पैमाने पर आयोजनों, कैंटीनों और घर में खाना पकाने के दौरान मोटा अनाज के व्यापक उपयोग के लिए परामर्श जारी किए गए हैं। बाजरा से स्वस्थ, स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन बनाने के लिए रसोइयों को केंद्रीकृत प्रशिक्षण दिया जा रहा है। देश की उत्तरी सीमाओं पर तैनात सैनिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण मोटे अनाज उत्पादों और हल्के नाश्ते की व्यवस्था पर विशेष जोर दिया गया है। सीएसडी कैंटीन के माध्यम से मोटे अनाज से तैयार खाद्य उत्पाद पेश किए जा रहे हैं साथ ही शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में उनकी बिक्री के लिए अलग से कॉर्नर स्थापित किए जा रहे हैं। शिक्षण संस्थानों में 'अपने मोटे अनाज को जानो' जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

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