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देश का गौरव और कृषि
में अग्रणी चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तरफ से धान की पराली के
प्रबंधन की दिशा में किए जा रहे कार्य में नीदरलैंड सहयोग करेगा। आपको बता दे की नीदरलैंड
के भारत में दूतावास से कृषि, प्रकृति और खाद्य गुणवत्ता के काउंसलर श्रीसीबे शूउर के नेतृत्व में चार सदस्यीय
प्रतिनिधिमंडल हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय आया। इस प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति प्रो.
केपी सिंह से मुलाकात की। इस अवसर पर श्रीसीबे ने इस विश्वविद्यालय की ओर से फसल
अवशेष प्रबंधन विशेषकर धान की पराली के प्रबंधन के लिए किए जा रहे प्रयास में पूरा
सहयोग देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा नीदरलैंड की कंपनियां धान की पराली
प्रबंधन से संबंधित परियोजना में भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं। श्रीसीबे
के नेतृत्व में यहां आए प्रतिनिधिमंडल में कृषि, प्रकृति और खाद्य गुणवत्ता के डिप्टी काउंसलर
आनंद कृष्णन, डैनियल और मारन
शामिल थे। पराली प्रबंधन की तकनीक के लिए 4 करोड़ की परियोजना मिली है।
भारत में धान की
खेती करने वाले हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश राज्यों में धान की पराली के प्रबंधन की गंभीर समस्या
सामने आई है। चिंतित किसानो की स्तिथि को देखते हुए ये कदम उठाया गया है। जिस से किसानो की समस्या का समाधान होगा। देखा जाये तो उचित प्रौद्योगिकी या विधियां
उपलब्ध न होने के चलते किसान धान की पराली को
जलाने के लिए मजबूर हो जाते है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पैदा होती है। इस समस्या से निपटने के लिए, किसानों को धान की पराली प्रबंधन के लिए उपयुक्त
प्रौद्योगिकी विकसित करने और इस कार्य के लिए फिलहाल उपलब्ध मशीनों व यंत्रों को लोकप्रिय बनाने के
लिए एचएयू को आइसीएआर से चार करोड़ रुपये की एक परियोजना भी मिली है। किसान भाइयो
की जानकारी के लिए बता दे की पराली पर एचएयू और नीदरलैंड दूतावास एक साथ काम कर
रहे है। ताकि सकारात्मक परिणाम की प्राप्ति हो सके। और किसानो को इस समस्या से
राहत मिले।
हरियाणा कृषि
विश्वविद्यालय और भारत में नीदरलैंड दूतावास धान की पराली के स्थायी समाधान की
दिशा में एक साथ काम कर रहे हैं। इसी के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ एक संयुक्त
समूह का गठन किया गया है, जिसने इस माह के शुरू में नीदरलैंड दूतावास में
इस विषय को लेकर बैठक भी की। तीन दिन चली इस बैठक में एचएयू से अनुसंधान निदेशक
डा. एसके सहरावत, कृषि
इंजीनियरिग कालेज के डीन डा. आरके झोरड़
सहित विषय विशेषज्ञ डा. रवि गुप्ता, डा. मुकेश जैन, डा. यादविका और डा.
कमला मलिक शामिल हुए थे। इनके अतिरिक्त भारत के कई शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों जैसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिग, सेंट्रल पल्प एंड पेपर रिसर्च इंस्टीट्यूट
भारतीय पेपर उद्योग, भारतीय एग्रो उद्योग
ने भी इस बैठक में भाग लिया। इस अवसर पर अनेक अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों एवं अनुसंधान समूहों ने अपनी
प्रौद्योगिकियों को साझा किया।
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