अपनी कंपनी सनराइज कैंडल में पत्नी नीता के साथ भवेश भाटिया।
'अगर दुनिया नहीं भी देख पाओगे तो क्या हुआ? कुछ ऐसा करो कि दुनिया तुम्हें देखे।' अपनी मां के ये शब्द भवेश के दिल में इस तरह उतर गए गए कि वह ब्लाइंड होते हुए भी दुनिया के लिए मिसाल बन गए। फेरी लगाकर शुरुआत करने वाले भवेश भाटिया आज लगभग 25 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली कंपनी‘सनराइज कैंडल’ के मालिक हैं। हैरत की बात यह है कि इस कंपनी के सभी कर्मचारी भी ब्लाइंड हैं। महज 15 हजार रु. का लोन लेकर भवेश इस मुकाम तक पहुंचे हैं। महाराष्ट्र के सांघवी निवासी भवेश शुरुआत से ही मोमबत्तियों का कारोबार कर रहे हैं। इस एक प्रोडक्ट ने उन्हें स्टार बना दिया है। मनी भास्कर आपको बता रहा है कि किन हालातों से जूझकर फेरी लगाने वाले भवेश ने अपनी कंपनी को इस मुकाम तक पहुंचाया...
स्कूल के दिनों में तंग करते थे बच्चे
भवेश को बचपन से ही आंखों से कम दिखाई देता था। इसीलिए उनका स्कूली जीवन भी मुश्किलों से भरा था और स्कूल के साथ साथी उन्हें तंग करते थे। परेशान होकर उन्होंने एक मां से कह दिया कि वह कल से स्कूल नहीं जाएंगे। उन्होंने मां को बताया कि बच्चे उन्हें ‘अंधा लड़का, अंधा लड़का’ कहकर चिढ़ाते हैं। उनकी मां ने जवाब दिया कि वे तुम्हारा मित्र बनना चाहते हैं। तुम उनसे इतने अलग हो, इसलिए वे तुमसे दूर रहते हैं। इसके बाद भवेश ने सबसे दोस्ती कर ली।
शुरू से थी पैसों की किल्लत
भवेश के पास शुरुआत से ही पैसों की किल्लत थी। उनकी मां को कैंसर था, जिनके इलाज में काफी पैसे खर्च हो जाते थे। शुरुआत में उन्होंने होटल में नौकरी की, लेकिन आंखों की रोशनी जाने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। उनके पिताजी उनकी मां के इलाज पर अपनी सारी बचत पहले ही फूंक चुके थे। सही इलाज न मिलने की वजह से मां का निधन हो गया।
मां ही याद कराती थीं पाठ
भवेश ब्लैकबोर्ड नहीं पढ़ पाता था। लेकिन उनकी मां पुस्तक के पाठों को याद कराने के लिए घंटों जूझा करती थीं। उनकी मां ने भवेश की पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी होने तक उनकी मदद की। अपनी मां, आंखों की रोशनी और नौकरी गंवाने के दुख से भवेश टूट गए। लेकिन मां की एक सलाह ने उन्हें जिंदगी जीने की हिम्मत दी। उनकी मां ने भवेश से कहा था, 'अगर दुनिया नहीं भी देख पाओगे तो क्या हुआ? कुछ ऐसा करो कि दुनिया तुम्हें देखे