Soybean Ki Kheti: वर्तमान समय में पुरे देश भर में बारिश का दौर चल रहा है। और इस समय सोयाबीन की फसल अब लगभग 25-30 दिन की हो गई है। लगातार बारिश होने के कारण सोयाबीन की फसल में हानिकारक कीट और रोग तेजी से फैल रहे हैं। इस कड़ी में भा.कृ.अनु.प. – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा सोयाबीन किसानो भाईयों के लिए साप्ताहिक सलाह (24 जुलाई से 30 जुलाई तक) जारी की गई है।
एन्थ्रेक्नोज नामक कवक रोग के लक्षण
मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में एन्थ्रेक्नोज नामक कवक रोग के प्रारंभिक लक्षण देखे गए हैं। जिन क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है, वहां किसानों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से अपनी फसलों की निगरानी करें और इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए जल्द से जल्द टेबूकोनाझोल 25.9 ई.सी. (625 मिली /हे) या टेबूकोनाझोल 10% + सल्फर 65% WG (1250 ग्राम/हे) से फसल पर छिड़काव करें।
पीला मोज़ेक रोग की शुरुआत
कुछ क्षेत्रों में पीला मोज़ेक रोग की शुरुआत की सूचना मिली है। इसलिए इस रोग के नियंत्रण के लिए रोगग्रस्त पौधों को तुरंत खेत से उखाड़ने की सलाह दी जाती है और इन रोगों को फैलने से रोकने के लिए पहले से मिश्रित कीटनाशक थायोमेथोक्सोम + लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (Thiamethoxam 12.5% + Lambda-Cyhalotrin 9.5% ZC) (125 मिली/हे) या बीटा-साइफ्लुथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओडी (Beta-Cyfluthrin 8.49% + Imidacloprid 19.81% OD) (350 मिली/है) का छिड़काव करें इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृपकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
चक्र भृंग (Girdle Beetle) का प्रकोप
जहां पर केवल चक्र भृंग (Girdle Beetle) का प्रकोप हों, इसके नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. ( 750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1 ली है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट) (425 मिली है) का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।
बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप
मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के कुछ जिलों में बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने की सूचनाये प्राप्त हुयी हैं। इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में ही झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियो को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं फसल पर लैम्ब्डा सायहॅलोथ्रिन 04.90% CS (300 मिली/हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.80% EC (333 मिली/हे.) छिडकाव करें।
पत्ती खाने वाले कीड़ों से बचाव
जहां फसल 15-20 दिन की हो, वहां पत्ती खाने वाले कीड़ों से बचाने के लिए सोयाबीन की फसल में फूल आने से पहले क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिड़काव करें। इससे अगले 30 दिनों तक पत्ती खाने वाले कीड़ों से सुरक्षा मिलेगी।
तना मक्खी के नियंत्रण हेतु उपयोगी सलाह
तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा सायलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटा-साइफ्लुथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81% ओडी (Beta-Cyfluthrin 8.49% + Imidacloprid 19.81% OD) (350 मिली/है) या आइसोसायक्लोसरम 92 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) का छिड़काव करें।
हानिकारक कीटों के नियंत्रण हेतु उपयोगी सलाह
जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर / तम्बाकू / चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/जसीड एवं ताना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम 12.60% + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या वीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोगी सलाह
सोयाबीन की फसल को 50-60 दिन तक खरपतवार मुक्त रखना आवश्यक है। इसके लिए विभिन्न तरीकों (हाथ से निराई-गुड़ाई, डोरा/कुलपा/खड़ी फसल में उपयोगी शाकनाशी का उपयोग) का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए हाथ से दो बार निराई-गुड़ाई करें (20 और 40 दिन की फसल में) या सुविधानुसार 25 दिनों तक डोरा/कुल्पा या अनुशंसित खरपतवारनाशी का छिड़काव करें। लगातार बारिश होने की स्थिति में, यदि खेत में डोरा/कुल्पा/ट्रैक्टर चालित डोरा या बूम स्प्रे का उपयोग करना संभव नहीं है, तो जेट ट्रैक्टर को मेड/सड़क पर लंबे पाइपों के साथ खड़ा करके छिड़काव किया जा सकता है।