पोषक तत्वों से भरपूर होते है ये अनाज, जानिए इन पौष्टिक अनाजों के बारे

पोषक तत्वों से भरपूर होते है ये अनाज, जानिए इन पौष्टिक अनाजों के बारे
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Kisaan Helpline

Crops Feb 18, 2023

आज से करीब तीन दशक पहले हमारी खान-पान की परंपरा बिल्कुल अलग थी। हम पौष्टिक अनाज/मोटा अनाज खाने वाले लोग थे। 1960 के दशक की हरित क्रांति के दौरान हमने अपनी थाली में गेहूं और चावल भरकर पौष्टिक अनाज को अपने से दूर रखा। सर्वाधिक क्षेत्र में पौष्टिक अनाज के अंतर्गत बाजरा, उसके बाद ज्वार, रागी और अन्य छोटे पोषक अनाज की खेती की जाती है। पौष्टिक अनाज की खेती भोजन और चारा दोनों उद्देश्यों के लिए की जाती है। इसका अधिकांश भाग घरेलू स्तर पर उपयोग किया जाता है और शेष भाग पोल्ट्री फीड, खाद्य प्रसंस्करण और अल्कोहल के लिए औद्योगिक रूप से उपयोग किया जाता है।

प्रमुख पोषक अनाज फसलें  (Major Nutrient Millets Crops)
ज्वार (Sorghum)


इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करने का काम करता है, वहीं कॉपर और आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ाने और एनीमिया को दूर करने में सहायक होते हैं। इसका सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है। ज्वार का उपयोग शिशु आहार बनाने में भी किया जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर इस अनाज का उपयोग देहाती भोजन में रोटी के रूप में किया जाता है।

बाजरा (Pearl Millet)


बाजरे का उपयोग उत्तर भारत में विशेषकर सर्दियों में किया जाता है। अफ्रीकी मूल के इस अनाज में अमीनो एसिड, कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम और विटामिन 'बी', 'सी-,' ई' भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद कैरोटीन हमारी आंखों के लिए फायदेमंद होता है। इसमें अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो नींद लाने और मासिक धर्म के दर्द को कम करने में मदद करते हैं। बाजरे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके सेवन से कैंसर पैदा करने वाले विष उत्पन्न नहीं होते हैं। बाजरा में कुछ एंटी-न्यूट्रिशनल पदार्थ भी होते हैं जैसे पाइटिक एसिड, एक पॉलीफेनोल, थोड़ी मात्रा में। बाजरा को पानी में भिगोकर, अंकुरित करके, माल्टिंग विधि से इन पोषक तत्वों को कम किया जा सकता है।

रागी (Finger Millet)


रागी (मड़ुआ) भारतीय मूल का अत्यधिक पौष्टिक मोटा अनाज है। इसमें कैल्शियम की मात्रा दूसरे अनाजों से ज्यादा होती है। रागी के प्रति 100 ग्राम में 344 मिलीग्राम कैल्शियम होता है। रागी में लौह तत्व भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जो रक्त का मुख्य घटक है। रागी के आटे से हम रोटी, चीला, इडली बना सकते हैं. छोटे बच्चों (विशेष रूप से दो साल से कम उम्र के बच्चों) को पारंपरिक रूप से रागी दलिया खिलाया जाता है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए अधिक लाभदायक होता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट नींद की समस्या और डिप्रेशन से भी निजात दिलाने में मदद करते हैं।

कोदो (Kodo Millet)


इसे प्राचीन अन्न भी कहते हैं। कोदो में कुछ मात्रा में वसा और प्रोटीन भी होता है। इसके कम 'ग्लाइसेमिक इंडेक्स' के कारण मधुमेह रोगियों को चावल के स्थान पर इसका उपयोग करने के लिए कहा जाता है। इसकी फसल मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में होती है। यह वहां के वनवासियों का मुख्य भोजन है।

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