सोयाबीन किस्म एनआरसी 136 (soybean variety NRC 136)

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सोयाबीन किस्म एनआरसी 136 (आईएस 136) जो पहले से ही देश के पूर्वी क्षेत्र में खेती के लिए अधिसूचित है, को भी इस वर्ष मध्य प्रदेश में खेती के लिए जारी किया गया है। इस किस्म के ब्रीडर और संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. ज्ञानेश कुमार सतपुते ने कहा कि यह किस्म 105 दिनों में पक जाती है और औसतन 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है। एनआरसी 136 एमवायएमवी (मूंग बीन येलो मोजेक वायरस) के लिए मध्यम प्रतिरोधी है तथा भारत की पहली सूखा-सहनशील किस्म है।

सोयाबीन किस्म एनआरसी 136 – वर्ष 2021 के दौरान अधिसूचित सोयाबीन की नवीनतम किस्म की विशेषताएं
किस्म/प्रजाति (पहचान वर्ष): एनआरसी-136 (2021)
फसल पकने की अवधि (दिन): 105
स्थान: पूर्वी क्षेत्र (मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल) एवं उत्तर पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र: असम, मेघालय, मणीपुर, नागालैण्ड व सिक्किम)
औसत उत्पादन (क्विं./हे.): 17
विशेष गुणधर्म: अर्ध-सिमित, नुकीली अंडाकार पत्तियां। सफ़ेद फूल, गहरी भूरी नाभिका। इंडियन बड ब्लाइट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी एवं पत्ती खाने वाल े कीटों के लिए माध्यम प्रतिरोधी।

बीज दर :- सोयाबीन की फसल
छोटे दाने वाली किस्में – 70 किलो ग्राम प्रति हेक्टर
मध्यम दाने वाली किस्में – 80 किलो ग्राम प्रति हेक्टर
बडे़ दाने वाली किस्में – 100 किलो ग्राम प्रति हेक्टर

बीज बोने का समय, विधि, बीजोपचार :- जून के अन्तिम सप्ताह में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है बोने के समय अच्छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्त नमी होना चाहिए। जुलाई के प्रथम सप्ताह के पश्चात बोनी की बीज दर 5- 10 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए। सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए। कतारों की दूरी 30 सेमी. ‘’ बोनी किस्मों के लिए ‘’ तथा 45 सेमी. बड़ी किस्मों के लिए उपयुक्त है। बीज 2.5 से 3 सेमी. गहराई तक बोयें।

सोयाबीन किस्म एनआरसी 136 फसल का औसत उपज 17 क्विंटल/हेक्टेयर तक होता है, एक अच्छी पैदावार के लिए ये बहुत अच्छा साबित होता है। 105 दिनों में आपकी फसल तैयार हो जाती है।

खरपतवार प्रबंधन :- फसल के प्रारम्भिक 30 से 40 दिनों तक खरपतवार नियंत्रण बहुत आवश्यक होता है। बतर आने पर डोरा या कुल्फा चलाकर खरपतवार नियंत्रण करें व दूसरी निंदाई अंकुरण होने के 30 और 45 दिन बाद करें। 15 से 20 दिन की खड़ी फसल में घांस कुल के खरपतवारो को नष्ट करने के लिए क्यूजेलेफोप इथाइल एक लीटर प्रति हेक्टर अथवा घांस कुल और कुछ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए इमेजेथाफायर 750 मिली. ली. लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव की अनुशंसा है। 

सिंचाई :- खरीफ मौसम की फसल होने के कारण सामान्यत: सोयाबीन को सिंचाई की आवश्यकता नही होती है। फलियों में दाना भरते समय अर्थात सितंबर माह में यदि खेत में नमी पर्याप्त न हो तो आवश्यकतानुसार दो या तीन हल्की सिंचाई करना सोयाबीन के विपुल उत्पादन लेने हेतु लाभदायक है। हमारे एक्सपर्ट के अनुसार ये खेती (राज्य): मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान में की जा सकती है।

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