मल्चर - खेत में चलाएं, और कैसे बढ़ाए मिट्टी की उर्वरा शक्ति!

Yash Dhakad

17-09-2021 03:44 AM

कृषि मशीनरी (Agri Machinary) में मल्चर (Mulcher) का एक महत्वपूर्ण स्थान है। मल्चर को ट्रैक्टर के साथ जोडक़र खेतों में चलाया जाता है। फसल कटाई के बाद मल्चर पुआल व डंठलों को काटने में काफी सहायक होता है। मल्चर बाग-बगीचों, धान, पलवार घास और झाडियों को काटने में बेहद सरल तरीके से काम करता है। इस उपकरण की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह उपकरण मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही अगली फसल की बुवाई में पानी व खाद भी कम लगता है। 

कृषि उपकरण मल्चर (Agri Machinary Mulcher) विशेष रूप से फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए बनाया गया है। यह 45 से 90 एचपी के साथ काफी बेहतर कार्य करता है। यह 1800 आरपीएम पर मल्च करता है। इसको जब ट्रैक्टर से अटैच किया जाता है तो ये आसान और काफी बेहतर कवरेज देता है। मल्चर मशीन एक बार में तीन तरह के संचालन कार्य जैसे कटिंग, चॉपिंग, मिट्टी के साथ मिश्रण कर देता है।

मल्चर (Mulcher) की खास बातें / मल्चर की विशेषताओं:
- मल्चर को ट्रैक्टर से जोडक़र चलाया जाता है। इसके लिए 45 हॉर्सपावर से ज्यादा एचपी क्षमता का ट्रैक्टर होना चाहिए।
- मल्चर एक विशेष प्रकार का कतरनी यंत्र है जो कि 50 हॉर्स पावर के डबल क्लचर वाले ट्रैक्टर के पीछे लगाकर चलाया जाता है।
- मल्चर फसलों के अवशेषों को बारीकी से काटने में काफी मदद करता है।- मल्चर पुआल व डंठलों को काटने में काफी सहायक होता है।
- मल्चर हरा चारा काटने, केले की फसल को काटने, सब्जियों के अवशेषों को छोटे टुकड़ों में काटने के अलावा ऊंची घास व छोटी झाडियों को काटने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
- मल्चर गेहूं व धान के पुआल, गन्ने की पत्तियां के बारीक-बारीक टुकड़े करके खेत की मिट्टी में मिला देता है जिससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और अगली फसल में कम खाद देना पड़ता है।
- गन्ने की कटाई के बाद जब खेत में पड़ी पत्तियों पर मल्चर चलाया जाता है तो मल्चर पत्तियों को मिट्टी में मिला देता है। इससे मिट्टी में लंबे समय तक नमी बनी रहती है और अगली फसल को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- यह जड़ समेत ही खरपतवार को समतल बना देती है और बुरादा बना देती है।
- मल्चर के उपयोग से फसल के अवशेष खेत की मिट्टी में मिला दिए जाते हैं जिससे अवशेष जलाने से मुक्ति मिलती है और पर्यावरण प्रदूषण से राहत मिलती है।
- पराली जलाने के मामले में मल्चर वरदान है। यह मशीन परानी को जमीन में ही मिला देता है। जो 15 से 20 दिनों में खाद बन जाता है।

रोटवेटर (Rotavator) और मल्चर (Mulcher) में अंतर?
कई किसान रोटवेटर और मल्चर में अंतर नहीं कर पाते हैं। उन्हें दोनों मशीन एक जैसी प्रतीत होती है। ट्रैक्टर जंक्शन आपको बताता है कि रोटावेटर और मल्चर में क्या अंतर है।
- रोटावेटर और मल्चर दोनों ट्रैक्टर की पीटीओ से अटैच होकर चलते हैं।
- दोनों ही उपकरणों को चलाने के लिए 45 एचपी से अधिक का ट्रैक्टर होना चाहिए।
- रोटावेटर जमीन की खुदाई करते मिट्टी को भुरभुरी करता है जबकि मल्चर फसल अवशेषों को काटता है।
- रोटावेटर में लोहे की ब्लेड होती है। ब्लेड जे, एल और सी टाइप में आती है। भारत में सबसे ज्यादा एल टाइप की ब्लेड प्रचलित है।
- रोटावेटर ब्लेड की मदद से खेत को छह इंच तक खोदता है और मिट्टी को पीसता है, इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है।
- मल्चर हमेशा फसल अवशेष को बारीक करता है। इसमें एक रोटेटिंग ड्रम होता है। जिसमें त्रिशूल टाइप के ब्लेड होते हैं। पीछे की साइड कटर ब्लेड होती है जो फसल के अवशेषों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट देती है।
- पराली का प्रबंधन करके अगर गेहूं की बुवाई करनी है तो मल्चर सबसे अच्छा उपकरण है।

भारत में मल्चर की कीमत / मल्चर निर्माता प्रमुख कंपनियां:
फसल अवशेषों को खाद में तब्दील करने में मल्चर  की एक विशेष भूमिका होती है। मल्चर की कीमत 1.50 लाख से लेकर 3 लाख रुपए तक है। देश के कई प्रांतों में कृषि विभाग मल्चर को किराए पर भी उपलब्ध कराता है जिससे आम किसान मल्चर का फायदा उठा सके। भारत में फील्डकिंग, शक्तिमान, दशमेश, मास्कीओ गैस्पर्डो, महिंद्रा, लैंडफोर्स, न्यू हॉलैंड आदि कंपनियों के मल्चर बाजार में उपलब्ध है।

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