Sanjay Kumar Singh
18-05-2023 03:10 AMप्रोफेसर (डॉ) एस.के. सिंह
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं
सह निदेशक अनुसन्धान
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा , समस्तीपुर, बिहार
इस दो तीन साल से यह कीट एक मुख्य कीट के तौर पर उभर रहा है। इससे बागों को भारी नुकसान पहुंच रहा है। आम के पत्तों वाले वेबर (ओरथागा यूरोपड्रालिस) के कारण होता है। पहले यह कीट आम का कम महत्त्व पूर्ण कीट माना जाता था, लेकिन विगत दो वर्ष से यह कीट बिहार में आम का एक प्रमुख कीट बन गया है। यह कीट हर वर्ष जुलाई महीने से ही अति सक्रिय होता है और दिसंबर तक नुकसान पहुंचाता रहेगा।
लीफ वेबर कीट पत्तियों पर अंडे देता है, जो एक सप्ताह के समय में हैचिंग पर एपिडर्मल सतह को काटकर पत्तियों को खाता है, जबकि दूसरे इंस्टा लार्वा पत्तियों को बंद करना शुरू कर देते हैं और पूरे पत्ते को खाते हैं जो मिडरिब और नसों को छोड़ कर पूरी पत्ती को खा जाता पीछे हैं। मई के महीने में जब नई पत्तियां निकल रही है ,इस समय भी इस कीट को देखा जा सकता है। उन बागों में यह कीट ज्यादा खतरनाक रूप ले लेता है जिनका प्रबंधन ठीक से नहीं होता है।
लीफ वेबर कीट का प्रबंधन
किसी भी उपकरण का उपयोग करके जालों को काटकर उसे जलाने से कीट की उग्रता में कमी आती है।
इसके बाद, लैम्बाडायशोथ्रिन 5 ईसी (2 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। पहले स्प्रे के 15-20 दिनों के बाद दूसरा छिड़काव या तो लैम्ब्डासीलोथ्रिन 5 ईसी (2 मिली / लीटर पानी) या क्विनालफॉस 25 ईसी (1.5 मिली / लीटर पानी) के साथ छिड़काव करना चाहिए। इंडोक्साकार्ब (1.5 मिली प्रति लीटर पानी) या एम्मामेक्टिन (0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी) जैसे कीटनाशक का भी छिड़काव करके इस कीट को प्रबंधित किया जा सकता है। यदि व्यवस्थित रूप से प्रबंधित बाग है, तो बेसिलस थुरुंगीन्सिस का छिड़काव भी करने की सलाह दी जाती है।
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