कपास की खेती: कम पानी, कम लागत और बंपर मुनाफा – किसान अब नहीं रहेंगे कर्ज में

कपास की खेती: कम पानी, कम लागत और बंपर मुनाफा – किसान अब नहीं रहेंगे कर्ज में
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Kisaan Helpline

Crops May 13, 2025

भारत के कई हिस्सों में किसान परंपरागत फसलों से होने वाली कम आय और बढ़ती लागत से परेशान हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि किसान ऐसी फसलों की ओर रुख करें, जिनमें लागत कम, देखभाल आसान और मुनाफा ज़्यादा हो। विशेषज्ञों के अनुसार कपास (Cotton) एक ऐसी ही नकदी फसल है, जो कम सिंचाई, आधुनिक तकनीकों और सही प्रबंधन से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती है।

 

क्यों है कपास एक स्मार्ट विकल्प?

कपास की खेती उन क्षेत्रों के लिए आदर्श मानी जाती है जहां पानी की उपलब्धता सीमित है। यह फसल कम सिंचाई में भी अच्छी पैदावार देती है और उन्नत किस्मों के कारण रोगों और कीटों से बचाव भी आसान हो गया है। खास बात यह है कि इसमें लंबे समय तक भंडारण की सुविधा रहती है और बाजार में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है।

 

खेत की तैयारी और मिट्टी का चयन

कपास की अच्छी फसल के लिए दोमट गिट्टी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत की तैयारी में 2–3 बार जुताई जरूरी है ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और खरपतवारों की संख्या कम रहे।

पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।

इसके बाद हल्की सिंचाई (पलेवा) कर खेत को एक-दो बार जुताई और पाटा लगाकर समतल करें।

दीमक की समस्या वाले खेतों में बुवाई से पहले क्यूनालफॉस 1.5% (6 किग्रा प्रति बीघा) ज़रूर मिलाएं।

 

बीज चयन, बुवाई और दूरी

बीटी कपास की उन्नत किस्में जैसे —

·         आरसीएच 650 बीजी

·         एमआरसी 7351 बीजी

·         जेकेसीएच 1947 बीजी

इनकी बाजार में अच्छी मांग है और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता भी रखती हैं।

·         बुवाई के लिए 475 ग्राम बीज प्रति बीघा पर्याप्त होता है।

·         10% नॉन-बीटी बीज खेत के किनारों पर लगाना चाहिए (रेफुजिया के लिए)।

·         बीज उपचार जिंक सल्फेट, कार्बोक्सिन या ट्राइकोडर्मा से करना चाहिए, ताकि जड़ गलन जैसी बीमारियों से सुरक्षा मिले।

·         कतार से कतार की दूरी 108 सेमी, पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी रखें।

 

सिंचाई और खाद प्रबंधन

·         पहली सिंचाई बुवाई के 35–40 दिन बाद करें।

·         इसके बाद हर 25–30 दिन में कुल 4–5 बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है।

·         खाद के लिए गोबर की जैविक खाद के साथ प्रति बीघा 22.5 किग्रा नत्रजन और 5 किग्रा फॉस्फोरस दें।

·         पहली निराई-गुड़ाई सिंचाई के बाद करें।

·         खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डीमेथालिन का छिड़काव करें।

 

कीट और रोग नियंत्रण

कपास में कई प्रकार के चूसक कीट जैसे —

·         सफेद मक्खी

·         माहू

·         थ्रिप्स

इनसे बचाव के लिए निम्न कीटनाशकों का समय पर छिड़काव करें:

·         इमिडाक्लोप्रिड

·         थायोमेथॉक्साम

·         फिप्रोनिल

·         प्रोपरगाइट

 

इसके अलावा, कपास की चुगाई 4–5 बार करें और खेत में बचे हुए अवशेषों को तुरंत हटा दें, ताकि अगली फसल पर कीटों का असर न पड़े।

 

पैदावार और लाभ

उन्नत तकनीकों, जैविक खाद और सही सिंचाई के साथ कपास की पैदावार 5 से 75 क्विंटल प्रति बीघा तक पहुंच सकती है। अगर किसान हर स्टेप पर सही तरीके से पालन करें, तो कपास की खेती से होने वाला मुनाफा दूसरी फसलों की तुलना में कहीं अधिक हो सकता है।

 

कपास की खेती पारंपरिक सोच से बाहर निकलकर आधुनिक तरीकों से की जाए, तो किसान न केवल कर्ज से उबर सकते हैं बल्कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं। राज्य सरकारें भी अब कपास की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं, जिनका लाभ उठाकर किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।

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