हमारा देश 'कृषि प्रधान देश' कहा जाता है पर यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। यदि मैं कहूँ कि हमारा देश 'कृषक प्रधान देश है' क्योंकि हमारे यहां लगभग 78% आबादी गांवों में रहती है और इनकी जीवन यापन एवं अन्य आवश्यकतों की पूर्ति के लिए इनको कृषि एवं इससे संबंधित संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। अतः कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए हम सभी को विशेष ध्यान देना होगा।
कृषि संबंधित रोचक जानकरियों के लिए पढ़िए डिज़िटल मैगज़ीन किसान हेल्पलाइन पर:
मिट्टी परीक्षण के उद्देश्य
- अपने कृषि क्षेत्र की मृदा परीक्षण करवा कर हमें निम्न सूचना प्राप्त होती है
- मृदा की उर्वरा शक्ति के साथ ही आवश्यक उपलब्ध तत्वों की मात्रा ज्ञात होती है।
- मृदा गुणों के मान से अधिकतम उत्पादन के लिए
- उर्वरक एवं खाद की फसल विशेष के लिये अनुशंसा |
- समस्या ग्रस्त मृदा की जानकारी एवं उपचार।
- मृदा गुणों के आधार पर कृषि उत्पादन एवं अन्य उपयोगी योजनाओं का क्रियान्वन ।
- मिट्टी परीक्षण के अनुसार दीर्घकालीन भूमि उपयोग कर भूमि के स्वास्थ्य सुधार करना।
मिट्टी का नमूना लेने के प्रयोजन
मिट्टी नमूना लेने के पहिले आप को यह जान लेना चाहिए कि आप किस प्रयोजन से मिट्टी नमूना ले रहे है। उर्वरा शक्ति अथवा फसल के लिए खाद की मात्रा को अनुशंसा के लिए 0-15 सें.मी. सतह से 500 ग्रा. प्रतिनिधित्व नमूना लेवें। बाग या पेड़ लगाने के लिय भूमि में 2 मीटर तक गहराई तक प्रोफाईल खोदकर मृदा सर्वेक्षण विशेषज्ञ की सलाह से मृदा के विभिन्न संस्तरों के नमूने लीजिए। ऊसर सा खारचा भूमि के सुधार के लिये या तो मृदा सर्वेक्षण विशेषज्ञ को सहायता लेवें या बरमें की मदद से कम से कम 1 मीटर तक 15-20 से.मी. के अंतराल से लगभग एक किलो प्रतिनिधित्व नमूना एकत्रित करें।
मिट्टी का नमूना लेने के लिए आवश्यक सामग्री
- मिट्टी खोदने के औजार जैसे गेती, फाबड़ा, खुरपी या मिट्टी के नमूने अधिक गहराई तक लेने के लिए बरमा।
- नमूना एकत्रित करने के लिए तगारी।
- नमूना सुखाने के लिए साफ कपड़ा या पुराने अखबार।
- नमूना रखने के लिए साफ पॉलीथिन थैली (500) ग्राम क्षमता)।
- नमूने के बारे में आवश्यक जानकारी पत्र।
- मिट्टी का नमूना रखने के लिए साफ कपड़े की थैली लेवें। खाद की थैली में नमूना न रखें।
मिट्टी का नमूना लेने की विधि
- खेत को मिट्टी के रंग, प्रकार एवं प्राकृतिक ढलान एवं गहराई के आधार पर विभाजित कर लेवे।
- पिछली-फसल की कटाई के ठीक बाद या अगली फसल के पहले खेत की मिट्टी का नमूना लेवें।
- मिट्टी की ऊपरी सतह से कार्बनिक पदार्थ जैसे लकड़ी की टहनियां, सूखी पत्तियां आदि हाटकर लगभग 20 सेंमी. लंबा और चौड़ा एवं 15 से.मी. गहरा आकार का गड्ढे के अंदर की मिट्टी बाहर कर सामने के तल से खुरपी द्वारा भूमि सतह के ऊपर से 15 से.मी. चौड़ी मिट्टी की तह काट लेवें और इसे एक तगारी में एकत्रित करें।
- बरमे की मदद से सीधे 15 से.मी. गहराई का नमूना निकालें ओर तगारी में एकत्रित करें।
- एक खेत में से 8 से 10 स्थानों से नमूना एकत्रित करें और सभी नमूने एक ही तगारी में एकत्रित करें।
- किसी पुराने अखबार पर या साफ कपड़े पर इन सभी स्थानो से एकत्रित नमूने को अच्छी तरह मिलाकर चार भागों में विभाजित कर लें।
- इन चारों भाग से चर्तुफल पद्धति द्वारा दो हिस्से रखें एवं दो अलग कर लेवे।
- उक्त क्रिया तब तक दोहरावें जब तक लगभग 1 किलाग्राम नमूना रह जावें।
- इस प्रकार प्राप्त नमूने की जानकारी बना कर नमूने के साथ रखकर छाया में सुखाएं।
- पोलिथीन की थैली में नमूने से संबधिम सूचना पत्र के साथ सूखी मिट्टी का नमूना रखें और थैली को ठीक तरीके से बांधकर एक कपड़े की थैली में रखकर निकटतम मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला को या कृषि विभाग के अधिकारीयो को देवें।
मिट्टी का नमूना कैसे लिया जाए
मिट्टी के परीक्षण के लिए आधा किलो मिट्टी का नमूना एक पूर खेत (जिसका क्षेत्रफल 1 से 5 एकड़ तक हो सकता है) का प्रतिनिधित्व करता है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि नमूना सही रूप में लिया जाए। मिट्टी का नमूना लेने के लिए वैसे तो मिट्टी निकालने की नली या वरमा का प्रयोग करना चाहिए। परन्तु इनकी उपलब्धि किसानों के पास न होने के कारण किसान खुरपी या गेंती को काम में ला सकते हैं। खेत से मिट्टी निकालकर रखने के लिसे साफ तसला तथा नमूना परीक्षण के लिए कपड़े की थैलियां होना चाहिये। खेत का मिला-जुला नमूना लेना चाहिये। यदि एक खेत की फसल की बाढ़ में असमानता हो, मिट्टी के रंग में विभिन्नता हो तथा ढाल ऊंचा नीचा हो तो खेत को विभिन्न भागों में बांटकर अलग-अलग भाग का नमूना अलग-अलग लेना चाहिए। धान, गेहूँ, ज्वार, चना आदि फसलों के लिये 6 से 9 इंच तक की गहराई से नमूना लेना चाहिए। मक्का, कपास, अरहर एवं गन्ना आदि फसलों के लिये एक से डेढ़ फीट तक की गहराई से नमूना लेना चाहिए। क्योंकि इनकी जडे गहरे में रहती है। बगीचों से मिट्टी का परीक्षण कराने के लिये 3.5 म 2.5 फीट गहरा गड्ढा खोदकर, गड्ढे की एक तरफ की दीवार साफ करके, विभिन्न परतों की मिट्टी अलग अलग थैलियों में भरना चाहिए एवं साथ में अन्य सूचना भी रखना चाहिए।
एक समान क्षेत्र से मिला जुला नमूना लने के लिए खेत के क्षेत्रफल के अनुसार 5 से 15 विभिन्न स्थानों से थोड़ा-थोड़ा नमूना लेकर तसले में रख लेना चाहिए। इसमें से धास, फूस, कंकड़, पत्थर साफ कर लेना चाहिए। अब मिट्टी को खूब अच्छी तरह मिलाकर नमूनों का ढेर बनाकर चार भागों में बांटकर दो भागों को ले लेना चाहिए तथा दो भागों को अलग कर देना चाहिए। इस मिट्टी को हटा-हटा कर इतना कम करना चाहिए कि आधा किलो मिट्टी रह जाए। यदि मिट्टी में नमी हो तो मिट्टी को सुखाकर कपड़े की थैली में भर देना चाहिये। मिट्टी भरने के बाद उसमें सूचना पत्र रखकर थैली का मुंह बांधकर उसे पास की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेज देना चाहिए।
यदि मृदा का पी.एच. मान 6.0 से कम है तो भूमि अम्लीय है, 6.0से 8.5 बीच में है तो साधारण और यदि 8.5 से अधिक है तो भूमि की क्षारीय बनने की संभावना है और यदि पी.एच. 9.0 से अधिक है तो भूमि क्षारीय मानी जाती है।
मिट्टी का नमूना लेते समय सावधानियां
मिट्टी का नमूना वर्षा या सिंचाई के ठीक बाद न लेवें। फसल को खाद देने के और खेत में फसल काटने के बाद बचा हुआ जीवांश जलाने के ठीक बाद नमूना न लेवें। मेढ़ों, नहर एवं नाले के पास, पेड़ की छाया वाले क्षेत्र, खाद के गड्ढे के पास एवं भूक्षरण वाले स्थानों से नमूने एकत्रित न करें।