कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा: मूंगफली की ये नई किस्में देंगी ज़्यादा पैदावार और बेहतर तेल की गुणवत्ता

कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा: मूंगफली की ये नई किस्में देंगी ज़्यादा पैदावार और बेहतर तेल की गुणवत्ता
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Kisaan Helpline

Crops May 20, 2025

देश भर में खरीफ़ फसलों की बुआई का समय नज़दीक आ गया है और ऐसे में मूंगफली की खेती करने वाले किसानों के लिए यह ख़बर काफ़ी फ़ायदेमंद हो सकती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जून का पहला पखवाड़ा (01 जून से 15 जून तक) मूंगफली की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस समय की गई बुआई से न सिर्फ़ अच्छी पैदावार मिलती है, बल्कि फसल भी जल्दी तैयार हो जाती है।

 

मूंगफली की बुआई कब और कैसे करें?

 

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मूंगफली की सफल खेती के लिए तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से कम होना चाहिए. बुआई से पहले खेत की दो से तीन बार हल्की जुताई करना ज़रूरी है। इसके बाद सिंचाई करनी चाहिए ताकि खेत में पर्याप्त नमी बनी रहे। अगर स्प्रिंकलर सिस्टम से 5-6 घंटे सिंचाई की जाए, तो बीज की पकड़ मज़बूत होती है और अंकुरण अच्छा होता है।

 

रेतीली चिकनी मिट्टी वाले क्षेत्रों में ज्यादा गहरी जुताई नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे फल जमीन के नीचे गहराई में चले जाते हैं और उन्हें निकालना मुश्किल हो जाता है। इससे पैदावार पर भी असर पड़ता है।

 

इन किस्मों को अपनाकर पैदावार बढ़ाएं

जेजीएन-3:

यह किस्म 100 से 105 दिन में पक जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल उपज देने में सक्षम है। यह किस्म कम समय में अच्छी उपज देने के लिए जानी जाती है।

 

जेजीएन-23:

यह फसल महज 90 से 95 दिन में तैयार हो जाती है। यह किस्म भी प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल उपज देती है। यह उन किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है जो जल्दी मुनाफा चाहते हैं।

 

टीजी-37:

यह किस्म करीब 100 से 105 दिन में पक जाती है और प्रति हेक्टेयर 18 से 20 क्विंटल उपज देती है। यह किस्म उन किसानों के लिए अच्छी मानी जाती है जो अच्छी गुणवत्ता के साथ संतुलित उत्पादन चाहते हैं।

 

जेएल-501:

यह किस्म 105 से 110 दिन में पक जाती है और 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। इसकी खास बात यह है कि इसमें तेल की मात्रा काफी अच्छी होती है, जिससे किसान को बाजार में अच्छे दाम मिल सकते हैं।

 

फुले प्रगति:

यह गुच्छेदार किस्म है जो 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक उत्पादन देती है और इसमें 50% तक तेल की मात्रा पाई जाती है। यह किस्म तेल मिलों के लिए ज्यादा पसंद की जाती है।

 

खेती से पहले ध्यान देने योग्य बातें

·         बीज शोधन: बुवाई से पहले बीजों का शोधन करना जरूरी है ताकि फफूंद जनित बीमारियों से बचा जा सके। इसके लिए थायरम या कैप्टान दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है।

·         अंतराल और पंक्ति: मूंगफली की बुवाई करते समय पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेमी और पौधों के बीच की दूरी 10 सेमी होनी चाहिए।

·         सिंचाई व्यवस्था: मूंगफली की फसल को फूल और फल बनने के समय सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। ऐसे समय में उचित सिंचाई करें।

 

मूंगफली की खेती उन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है जो कम समय में अच्छी कमाई करना चाहते हैं। खासकर तब जब सही किस्म और तकनीक का चयन किया जाए। किसान बेहतर उपज पा सकते हैं। उपयुक्त मौसम, उचित सिंचाई और रोग नियंत्रण उपायों को अपनाकर अपनी मूंगफली की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप भी मूंगफली की खेती करने की सोच रहे हैं तो ऊपर दी गई किस्मों में से किसी एक को चुनकर इस खरीफ सीजन में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

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