सोयाबीन की फसल के उत्पादन में तीन साल पहले देश में अव्वल रहे मप्र में इस बार मौसम और यलो मोजिक (वायरस) एवं कीट प्रकोप के कारण यह फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे सोयाबीन बोने वाले 50 लाख किसानों में से आधे से ज्यादा किसानों को मायूसी हाथ लगी है। इस साल 59.06 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था।
फसल के नुकसान के कारण मायूस किसानों के लिए सरकार की तरफ से अब तक किसी राहत की घोषणा नहीं की गई है। अगस्त से फसल खराब होने की सूचनाएं मिलने लगी थीं, इसके बावजूद प्रदेश में अभी तक सर्वे नहीं हुआ। सरकार का कोई भी अफसर यह बताने की स्थिति में नहीं है कि सोयाबीन की फसल का कितना नुकसान हुआ और कितना उत्पादन हुआ। दैनिक भास्कर के संवाददाताओं ने विभिन्न जिलों में पहुंचकर मैदानी हकीकत जानी तो पता चला कि खेतों में नुकसान की निशानियां अभी भी मौजूद है।
पिछले साल का मुआवजा अभी तक नहीं बंटा
2014 के खरीफ सीजन में भी फसलों को नुकसान हुआ था। तब 515 करोड़ रुपए का मुआवजा प्रदेश के 4 लाख 25 हजार 136 किसानों को वितरित होना था। कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा के अनुसार पिछले साल की बीमा राशि का वितरण अगले सप्ताह से शुरू किया जाएगा।
50 लाख किसान हैं सोयाबीन उत्पादक- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार प्रदेश में 50 लाख किसान सोयाबीन का उत्पादन करते हैं। इनमें से आधे किसानों की फसल बिगड़ने का अनुमान है।
समीक्षा बैठक- खरीफ फसल के ताजा हालात और रबी फसल की तैयारियों के लिए 19 अक्टूबर को कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक अपेक्स बैंक में होगी।
11 जिलों में ज्यादा बारिश और 12 में यलो मोजिक से नुकसान
1. कम वर्षा से खराब हुई सोयाबीन: दतिया, रीवा, उमरिया, अनूपपुर, दमोह, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, रायसेन, सिवनी, जबलपुर।
2. यहां यलो मोजिक एवं कीट का प्रकोप: शिवपुरी, गुना, अशोक नगर, श्योपुर, शहडोल, सागर, दमोह, हरदा, बैतूल, सीहोर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा जिले में।
3. अधिक वर्षा से फसल गली राजगढ़, विदिशा और गुना जिले में।
कई प्राेसेसिंग यूनिट नहीं बनाएंगी सोया प्रोडक्ट
उत्पादन घटने से इस बार सोयाबीन के दाम 10 हजार रुपए प्रति टन तक बढ़े हैं। पिछले साल इसके दाम 27 हजार रुपए प्रति टन थे। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार खली में मिलने वाला फायदा लगभग खत्म होने से प्रदेश की 15-20 सोया प्रोसेसिंग यूनिट्स अब उत्पादन शुरू करने की स्थिति में ही नहीं हैं। राज्य में 70 सोया प्रोसेसिंग यूनिट हैं। ये हर साल 55-60 लाख टन सोया प्रोसेसिंग की क्षमता रखती हैं। इस बार मप्र में सोयाबीन का उत्पादन 58 लाख टन के अनुमान से 13 लाख टन घटकर 45 लाख टन पर सिमट सकता है। मप्र में सोया प्रोसेसिंग सेक्टर 25 हजार करोड़ रुपए का उद्योग है।
प्रदेश में कुल रकबा
104.05 लाख हेक्टेयर
59.06 लाख हेक्टेयर
नुकसान
किसानों के मुताबिक 40-70%
प्रशासन का अनुमान 30.40%
सोपा का दावा 14.73%
सर्वे करें, मुआवजा दें
सभी जिलों में सोयाबीन खराब हुई है। हमारी मांग है कि बीमे की राशि का तत्काल भुगतान हो। नुकसान के आंकलन के लिए पूरे प्रदेश में सर्वे हो और सरकार मुआवजा दे। रामभरोस बासोतिया,अध्यक्ष, भाकिसं
कुछ जिलों में नुकसान
कीट-व्याधि और यलो मोजिक वायरस के कारण 16 जिलों में सोयाबीन की फसल का नुकसान हुआ है। सभी प्रभावित किसानों को बीमे का लाभ मिलेगा। डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव, कृषि
पूर्व तैयारी नहीं की
पहले ही पता था कि मौसम की स्थिति ठीक नहीं रहेगी। यलो मोजेक वायरस का भी भयंकर असर था। सरकार को सुरक्षा के इंतजाम करने थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जीएस कौशल, पूर्व कृषि संचालक