जानिए मिट्टी परीक्षण लेने का उद्देश्य, विधि और सावधानियां

जानिए मिट्टी परीक्षण लेने का उद्देश्य, विधि और सावधानियां
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Kisaan Helpline

Soil Mar 05, 2020

डॉ. एस.के. सिंह, कृषि विज्ञान केन्द्र, ग्वालियर (म.प्र.)

अन्य प्राणियों की तरह पेड़ पौधों की बढ़वार के लिए भी संतुलित आहार की जरूरत होती है। उन्हें अपना जीवन चक्र पूरा करने एवं उचित बढ़वार हेतु कुल सत्रह पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है। इनमें से कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन पौधे वायुमंडल एवं पानी से लेते हैं जो प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते है अन्य चौदह तत्व, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश प्राथमिक तत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर, द्वितीयक पोषक तत्व जिन्हें हम मुख्य पोषक तत्व कहते हैं तथा लोह, मैग्नीज, जिंक, कॉपर, बोरान, मालिब्डेनम, क्लोरीन एवं निकल जिन्हें सूक्ष्म तत्व कहते हैं पौधे मिट्टी से ही लेते हैं। इन 14 पोषक तत्वों में से नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश की कमी हमारी मिट्टी में विशेष रूप से पाई जाती है, क्योंकि पौधें इनको काफी मात्रा में ग्रहण करते हैं। मिट्टी में उपलब्ध तत्वों को जानकारी करना ही भूमि परीक्षण कहलाता है। भूमि परीक्षण प्रयोगशालाओं में आपके खेत की मिट्टी का वैज्ञानिक निदान होता है तथा खेत की मांग एवं फसल की भूख के अनुसार उर्वरक प्रयोग के सुझाव दिए जाते हैं। आपके खेत में जिस तत्व को कमी फसल विशेष के लिए होती है, उसकी मात्रा को पूर्ति संतुलित उर्वरक प्रयोग करके सुनिश्चित की जाती है, साथ हो उर्वरक स्रोत व्यय में मितव्ययता करके आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह वैज्ञानिक तथ्य है कि संतुलित उर्वरक प्रयोग करने से (जो भूमि परीक्षण द्वारा ही संभव है) पौधों में प्राकृतिक प्रकोप सहन करने की क्षमता बढ़ जाती है, साथ ही साथ रोगों के प्रति अवरोधकता में भी वृद्धि होती है और मिट्टी के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक गुण भी सुरक्षित रहते हैं।

अत: यह निष्कर्ष निकलता है कि भूमि परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरक प्रयोग जो कि भूमि परीक्षण का मूल सिद्धांत है। इसे करने से कृषि उत्पादन में आशातीत वृद्धि करने के साथ उत्पादन में स्थिरता भी लाई जा सकती है जो वर्तमान में कृषि पद्धति के गुणात्मक वृद्धि में नितांत आवश्यक है।

अत: यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि 'मिट्टी की जांच के बिना उर्वरकों का इस्तेमाल ठीक उसी तरह से है जैसे बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का प्रयोग करना' यह प्रति इकाई लागत से अधिकतम उत्पादन हेतु परीक्षण नगण्य लागत वाला संसाधन है।

मिट्टी परीक्षण के मुख्य उद्देश्य:
1. मृदा की उर्वराशक्ति के साथ ही आवश्यक उपलब्ध तत्वों की मात्रा ज्ञात होती है।
2. मृदा गुणों के मान से अधिकतम उत्पादन के लिए उर्वरक एवं खाद की फसल विशेष के लिए अनुशंसा।
3. समस्याग्रस्त मृदा की जानकारी एवं उपचार।
4. मिट्टी परीक्षण के अनुसार दीर्घकालीन भूमि उपयोग कर भूमि के स्वास्थ्य में सुधार करना।

मिट्टी का नमूना लेने के लिए आवश्यक सामग्री:
1. नमूना एकत्रित करने के लिए तगारी।
2. मिट्टी खोदने के लिए औजार-गेती, फावड़ा, खुरपी।
3. नमूना सुखाने एवं मिलाने के लिए अखबार।
4. नमूना रखने के लिए पॉलिथीन थैली (600 ग्राम)

मिट्टी का नमूना लेने की विधि:
1. खेत को मिट्टी के रंग, प्रकार एवं प्राकृतिक ढलान एवं गहराई के आधार पर विभाजित कर लेवें।
2. पिछली फसल की कटाई के ठीक बाद या अगली फसल के पहले खेत की मिट्टी का नमूना लेवें।
3. जिस खेत का नमूना लेना हो उसके 8 से 10 स्थानों पर निशान लगा लें।
4. प्रत्येक निशान देह स्थान से घास-फूंस, कंकड़, पत्थर आदि साफ करें।
5. प्रत्येक निशान से खुरपी या फाबड़े से व्ही आकार का 15 से.मी. गहरा गड्ढा कर लेवें।
6. गड्ढे से ऊपर की फालतू मिट्टी निकालकर खुरपी की सहायता से मिट्टी की दीवार से लगभग एक अंगुली मोटी मिट्टी परत निकाल लें।
7. इस मिट्टी को साफ सुथरे तसले या बोरी, अखबार पर सभी 8 से 10 स्थानों की मिट्टी को रखकर अच्छी तरह मिलाएं तथा कंकड़, पत्थर घास-फूस हटा दें।
8. एकत्रित मिट्टी के चार भाग करें जो कम से कम 500 ग्राम के हों उन चारों भाग में से तीन भाग मिट्टी खेत में छोड़ दें तथा एक भाग मिट्टी पॉलिथीन में रख लें मिट्टी की पहचान लिखकर रख दें।
9. अपने खेत की मिट्टी जांच के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला कृषि उपज मंडी समिति में लाएं।
10. किसान अपनी मिट्टी के नमूने को सीधे जांच के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला लाएं।
11. मिट्टी परीक्षण शुल्क सामान्य किसान 5 रुपए अन्य वर्ग के किसान 3 रुपए है। 

सावधानियां:
1 मिट्टी का नमूना वर्षा या सिंचाई के ठीक बाद न लें।
2. गीली मिट्टी का नमूना न लें।
3. खेत के ऊंचाई वाले स्थान से अलग नमूना लें।
4. फसल में खाद लेने और खेत में फसल काटने के बाद बचा हुआ जीवांश जलाने के ठीक बाद नमूना न लें।
5. मेढ़ों, नहर, नाले के पास, पेड़ की छाया वाले क्षेत्र, खाद के गड्ढे के पास एवं भू-क्षरण वाले स्थानों से नमूना न लें।

Content By - Krashak Bharti Magazine

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