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जानिए जैविक खेती से क्यों दूर हो रहे हैं किसान?
जयपुर. राज्य में जैविक खेती की पर्याप्त सुविधाए हैं लेकिन कीमत नहीं मिलने के कारण किसान इससे पूरी तरह जुड़ नहीं पा रहे हैं। राज्य में अभी केवल 56106.747 हैक्टेयर भूमि पर जैविक खेती हो रही है। जबकि करीब 211119.92 हैक्टेयर भूमि ऐसी है, जिस पर खेती की जा सकती है। यानी महज 25 प्रतिशत भूमि का उपयोग ही जैविक कृषि के लिए किया जा रहा है।
कृषि और प्रंसस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की रिपोर्ट में यह स्थिति सामने आई है की खेती नहीं होने के कारणों की पड़ताल में सामने आया कि खुद राज्य सरकार ही इसे लेकर गंभीर नहीं है। प्रोत्साहन और जागरूकता के लिए ठोस कदम नहीं उठाने के कारण जैविक खेती अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रही है।
बाजार मिले तो किसान आएं आगे
समस्या: जैविक खेती के प्रति किसानों का रुझान नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा और महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि उनके उत्पादों को बेचने के लिए अभी तक कोई अधिकृत सरकारी केंद्र नहीं है।
समाधान : सरकार राज्य की सभी कृषि उपज मंडियों में जैविक उत्पादों की बिक्री और प्रचार-प्रसार के लिए अलग काउंटर बनाए। खरीदार तक जानकारियां पहुंचाने के सभी उचित माध्यम अपनाए ताकि किसानों को भी फसल की उचित कीमत मिल सके।
ये हैं भ्रम और उनका निदान
भ्रम : कृषकों में भ्रम बना है, जैविक खेती से फसल पूरी नहीं मिलेगी।
हकीकत : कृषि विशेषज्ञों की मानें तो रासायनिक के भारी उपयोग से मिट्टी की उर्वरक क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए जैविक खाद का उपयोग शुरू होने के दो-तीन फसल बाद वह सामान्य स्थिति में आती है। उसके बाद पहले से भी उपजाऊ और बेहतर फसल मिलना शुरू हो जाती है।
समाधान : सरकार ने कृषि नीति में जैविक खेती के लिए अलग प्रावधान जोड़े हैं। सब्सिडी शुरू की है लेकिन वह काफी कम है। वह भी किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है।
भ्रम : जैविक खेती के अभी खरीदार नहीं हैं। उनकी लागत कीमत भी नहीं निकलती।
हकीकत : जैविक खेती के खरीदार बहुत हैं लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि प्रदेश में कहां जैविक खेती हो रही है, खरीदारी कहां से करें। दोनों का प्लेटफॉर्म अभी तक तैयार नहीं हुआ है।
समाधान : शुरुआत में किसान और उपभोक्ता के बीच सरकार कड़ी बने। ऐसा तंत्र निर्मित हो, जिससे किसान और उपभोक्ता को आपस में मिलाया जा सके।
भ्रम दूर करने के लिए अभियान
राज्य में लगभग सभी जिलों में 1150 क्लस्टरों से 23 हजार हैक्टेयर भूमि को जैविक खेती के तहत लाया गया है। इस योजना से 65 हजार कृषक जुड़े हैं। इसे 5 हजार क्लस्टर से एक लाख हैक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है। भ्रम दूर करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
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