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अफीम काश्तकारों का आंदोलन आखिर रंग लाया। भारत सरकार ने अफीम नीति में दो बदलाव कर दिए हैं। इसमें 2009-10 से 2014-15 तक अफीम की गाढ़ता 55 डिग्री से कम देने व इसी दौरान लगातार दो साल पूरी फसल उखड़वाने के कारण काटे गए पट्टे फिर बहाल कर दिए हैं। इससे नीमच, मंदसौर व रतलाम जिले के 3600 किसानों को लाभ होगा। फिलहाल मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किसानों को कितनी आरी का पट्टा मिलेगा।
अक्टूबर की शुरुआत में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने अफीम नीति घोषित की थी। इसमें 56 किलो अफीम प्रति हेक्टेयर औसत देने वाले किसानों को अफीम के पट्टे देना तय किया। पहली बार चार वर्गों में 10 से 25 आरी तक के पट्टे दिए। अच्छा औसत देने वाले किसानों को पुरस्कृत करने के उद्देश्य से ज्यादा आरी के पट्टे जारी हुए। औसत ज्यादा तय होने से कई किसानों को पट्टे नहीं मिल सके। इसमें वे किसान शामिल है जो गाढ़ता के नियम में खरे नहीं उतरे और लगातार दो साल तक पूरी फसल उखड़वा दी थी। ऐसे किसानों के पट्टे बहाली के लिए वित्त मंत्रालय के अवर सचिव टीके सत्पथी ने पत्र जारी कर आदेश दिए हैं। इसके अनुसार अफीम नीति में दो अहम बदलाव हुए हैं। इस साल 17,730 किसानों को पहले ही पट्टे मिल चुके हैं। बदलाव से नीमच, मंदसौर और रतलाम जिले के 3600 और किसानों को पट्टे मिलेंगे।
सांसद सुधीर गुप्ता ने बताया अफीम काश्तकारों की समस्या पूरी ताकत से वित्र मंत्रालय में रखी। इसी का परिणाम आज आया। जिले के साढ़े तीन हजार से ज्यादा किसानों को इसका लाभ होगा। हर आदमी को हक दिलाने का लगातार प्रयास किया जाएगा।
हक में फैसला
भूख हड़ताल व डांगी की शहादत आई काम
किसान नेता अमृतराम पाटीदार ने बताया किसानों ने जो भूख हड़ताल की और लगातार आंदोलन किया वह काम आया। किसानों की लड़ाई लगातार जारी रहेगी। नीति में बदलाव किसानों की लड़ाई का अल्पविराम है। यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक सभी पट्टे नहीं मिल जाते। किसान नेता तुलसीराम माली ने बताया मंदसौर जिले के गन्नई के रामलाल डांगी की भूख हड़ताल के कुछ दिन बाद मृत्यु हो गई थी। उनकी शहादत काम आई। उनके परिवार को आर्थिक सहायता व बाकी किसानों को उनका हक दिलाने के प्रयास जारी रहेंगे।
पिछले साल 56 किलो अफीम प्रति हेक्टेयर औसत पर पट्टा देना तय किया था। जब किसानों ने आंदोलन किया व जनप्रतिनिधियों ने भी प्रयास किया तो मंत्रालय ने औसत घटाकर 51 कर दिया था। इससे 4500 किसानों को लाभ मिला था।
पिछले साल 51 के औसत पर मिले थे पट्टे
पट्टे कटने से नाराज किसानों को आंदोलन करना पड़ा था। उन्होंने पट्टे बहाली के लिए रैली निकाली, वित्त मंत्री के नाम डीएनसी, कलेक्टर को ज्ञापन दिया व नारकोटिक्स कार्यालय के बाहर 1 समाजसेवी 8 किसान सहित भूख हड़ताल पर बैठे। यह 15 दिन चली। इसके बाद बहीपार्श्वनाथ चौपाटी मंदसौर में फोरलेन पर दो बार चक्काजाम भी किया था.
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