अफीम की दो नई किस्में तैयार, बीमारियों से लड़ने में होंगी सक्षम, आेले व अतिवृष्टि से भी बची रहेंगी

अफीम की दो नई किस्में तैयार, बीमारियों से लड़ने में होंगी सक्षम, आेले व अतिवृष्टि से भी बची रहेंगी
News Banner Image

Kisaan Helpline

Soil Feb 21, 2017

डोडो से निकली अफीम एकत्र करने लगे किसान

अगले साल से मिलेगी किसानों को नई किस्में, उत्पादन भी बढ़ेगा

अफीम उत्पादक किसानों के लिए अच्छी खबर है। अगले साल उन्हें अफीम की ऐसी दो किस्में और मिलेंगी जो बीमारियों से लड़ने की बेहतर क्षमता रखने के साथ अच्छा उत्पादन भी देने वाली होंगी। उद्यानिकी महाविद्यालय में अफीम की 235 किस्मों में चल रहे शोध में इन दो किस्मों को तैयार करने में रिसर्च सेंटर को सफलता मिली है।

मौसम व बीमारियों के लिहाज से अफीम फसल सबसे अधिक संवेदनशील है। मंदसौर सहित आसपास के जिलों में इस फसल को लेकर किसानों में खासा लगाव है। इस साल तो स्थिति यह है कि किसानों ने केंद्र सरकार से नीति में परिवर्तन तक कराकर पूर्व में कटे पट्टे तक प्राप्त कर लिए। जिले में इस साल करीब 14 हजार 240 किसानों ने अफीम फसल की बोवनी की है। इस साल मौसम ने साथ दिया तो अच्छे उत्पादन की उम्मीद है। हालांकि ऐसा मौसम हर साल किसानों को नहीं मिलता। मौसम में आ रहे बदलाव को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी ही किस्म पर शोध किया जिस पर मौसम व बीमारियों का खतरा कम हो। वैज्ञानिकों ने दो किस्म तैयार करने में सफलता भी प्राप्त कर ली है। इन्हें एमओपी 278 व एमओपी 511 नाम दिया है।

12 लाख 81 हजार 600 किलो अफीम होने की उम्मीद

पिछले साल 9184 किसानों को पट्टे जारी हुए थे। अल्पवर्षा की वजह से किसानों को दो बार बोवनी करना पड़ी। इसके बाद तापमान बढ़ गया। इससे बीमारियां बढ़ गईं। कई स्थानों पर फसलों की बढ़त ही नहीं हुई। किसानों ने खेतों में ही फसल उखड़वाने के लिए आवेदन कर दिए। केवल 277 किसानों ने ही अफीम में चीरा लगाया इससे विभाग को 1668 किलो अफीम ही मिली। इस बार अक्टूबर में अफीम नीति जारी होने के बाद जिले में 14240 किसानों को 12 व 20 आरी के पट्टे जारी किए गए। पिछले सालों में रकबा बढ़ने व मौसम के साथ देने के कारण इस साल किसान व विभाग दाेनों ही अच्छे उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं। इसमें 12 लाख 81 हजार 600 किलो अफीम उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है।

अंतिम टेस्टिंग के बाद अनुशंसा
रिसर्च सेंटर पर अफीम पर चल रही विभिन्न शोध के बाद दो किस्म तैयार हुई है। जो विपरीत मौसम में भी अधिक उत्पादन देने वाली होने के साथ बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी रखती है। इस साल अंतिम टेस्टिंग के बाद किसानों के लिए अनुशंसा करेंगे। डॉ. जीएन पांडे, वरिष्ठ वैज्ञानिक उद्यानिकी महाविद्यालय मंदसौर

दोनों किस्में रिसर्च सेंटर पर तैयार हुईं जवाहर 16 की जगह लेंगी। जवाहर 16 में सबसे अधिक काली मस्सी का प्रकोप होता है। इससे उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। नई तैयार किस्मों में बीमारियों से लड़ने तथा अधिक उत्पादन देने की क्षमता है।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline