श्रीगंगानगर। मानसून की अच्छी शुरुआत से खुश किसान नरमा-कपास की बुवाई करके बेटी की शादी और कर्ज चुकाने के सपने देख रहे थे। वही किसान आज खून के आंसू रो रहे हैं। कारण, सफेद मक्खी ने बीटी काॅटन और अमेरिकन कपास की फसल पूरी तरह खराब कर दी है। हालत यह हो गई है कि एक बीघा में 7 से 8 क्विंटल तक कपास होती थी, लेकिन अभी वहां 7 से 8 किलो ही कपास हो रही है। लिहाजा, निराश किसानों ने खुद अपने हाथों से खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाना शुरू कर दिया है। एक अनुमान के अनुसार, जिले में करीब 100 करोड़ रुपए कीमत की नरमा-कपास की फसल तबाह हो गई है।
सफेद मक्खी से प्रभावित फसलों की स्थिति देखने भास्कर टीम ने दो दिन तक गांवों का दौरा किया। पड़ताल में सामने आया कि सबसे ज्यादा नुकसान सीमा से सटे गांवों में हुआ है। जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर ग्राम पंचायत खखां में तो कई किसानों ने अपनी फसल पर ही ट्रैक्टर चला दिया। किसानों के लिए फिक्र यह है कि इस बार लाखों का कर्ज लेकर नरमा-कपास की बुवाई की थी।
अब फसल नहीं हुई तो कर्ज कैसे चुकाएंगे। इसी तरह चक 1 ए, 2 ए, 3 ए, 1 बी, 2 बी, 2 सी, 3 सी बड़ा सहित कई चकों में सफेद मक्खी से नरमा-कपास की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है। इन चकों में करीब 80 प्रतिशत किसानों ने बैंकों से कर्ज ले रखा है। काफी किसान तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने परिवार चलाने के लिए नरेगा में मेहनत मजदूरी करनी शुरू कर दी है।
किसानों का दर्द| इतना बड़ा नुकसान, हालात देखने जनप्रतिनिधि आए और ही अफसर
हजारों रुपए खर्चकर बड़े अरमानों से की थी बुवाई, पर सब बेकार
गांव1 के कश्मीरसिंह, जंगीरसिंह, गुरचरणसिंह, जसकरणसिंह आदि ने खेतों में बीटी कॉटन की बुवाई की थी। फसल में 5 से 7 बार पेस्टीसाइड्स का छिड़काव किया। प्रति बीघा 3 हजार रुपए खर्च बैठा। खाद, उर्वरक आदि पर 1500 रुपए अलग से खर्चे। किसानबोले- सोचा था कि इस बार लाखों आएंगे तो कर्ज चुकाएंगे, लेकिन इस फसल ने तो कर्जा बढ़ा दिया।
परिवार चलाने के लिए करेंगे मनरेगा में मजदूरी
गांव1 के जंगीरसिंह ने दो बैंकों से 5.60 लाख रुपए का कर्ज ले रखा है। इस बार यह सोचकर नरमा-कपास बोया कि बैंकों का कुछ कर्जा कम हो जाएगा, लेकिन 12 बीघा में बोई सारी फसल नष्ट हो गई। अब कर्जा चुकाना तो दूर, घर में खाने को अनाज तक नहीं है। मजबूरन,परिवार ने दो जॉब कार्ड बनवाए हैं और नरेगा में मजदूरी करना तय किया है।
अज्ज दे डिग्गे दस साल नहीं संभल दे, सरकार नूं मुआवजा देना चाहिदा
जरनैलसिंह का आठ बीघा का खेत तारबंदी से सटा है। बड़ी मुश्किल से सोसायटी से डेढ़ लाख का कर्ज लेकर नरमे की बुवाई की, लेकिन अब हुए नुकसान ने पूरी तरह तोड़ दिया है। लोन चुकाया नहीं जा सकता, इसलिए दुबारा मिलने की भी गुंजाइश नहीं। हताशजरनैलसिंह ने कहा, अज्ज दे डिग्गे हूण दस साल नहीं संभलदे। सरकार नूं सानू मुआवजा देना चाहिदा ऐ।
पाक से भी आ सकता है वायरस
सफेद मक्खी ने इस बार सबसे ज्यादा नुकसान बार्डर से सटे गांवों में ही पहुंचाया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं पछुआ हवाओं के साथ यह जहरीला वायरस पाकिस्तान से तो नहीं आया। कृषि विभाग को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
12करोड़ रुपए बुवाई पर कुल खर्च
03हजार रुपए प्रति बीघा औसत खर्च
40हजार बीघा कुल तबाह फसल
100 करोड़रुपए नुकसान
40 हजारबीघा में नुकसान
2.25 लाखबीघा में बीटी कॉटन कपास बुवाई
5क्विंटल प्रतिबीघा अनुमानित उत्पादन
2लाख क्विंटलकुल उत्पादन प्रभावित
5हजार रुपएप्रति क्विंटल औसत भाव
कृषि मंत्री ने माना- सफेद मक्खी का प्रकोप, अफसर बोले-जानकारी नहीं
कृषि वैज्ञानिकों को भेजूंगा :कृषि मंत्री
हनुमानगढ़ और गंगानगर का दौरा करके आया हूं। खेतों में सफेद मक्खी का प्रकोप बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है। सोमवार को कृषि वैज्ञानिकों को मौके पर भेजूंगा। जो भी सिफारिशें होंगी, उस पर सरकार आगे कदम उठाएगी। प्रभुलाल सैनी, कृषिमंत्री
सर्वे करवा लेंगे: सहायक निदेशक
सफेद मक्खी से नरमे की व्यापक तबाही की विभाग के पास पुख्ता जानकारी नहीं है। फिर भी जिन चकों में सफेद मक्खी का ज्यादा प्रकोप है, वहां सर्वे करवाकर रिपोर्ट सरकार को भेजेंगे।
वासुदेव मिगलानी, सहायकनिदेशक कृषि