Poplar (पोपलर)

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pH value

5.8 - 8.5

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Temperature

20 - 30 °C

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Fertilization

cowdung@8kg along with Urea+SSP@50gm per plant. During 2nd and 3rd year, apply well decomposed cowdu

Poplar (पोपलर)

Basic Info

आप जानते है पोपलर सीधा तथा तेज बढने वाला वृक्ष है। कृषि वानिकी में इस वृक्ष का विशेष महत्व है। भारत में पोपलर साल 1950 में अमेरिका से लाया गया था। उत्तर भारत में यह बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। यह पेड़ कार्बन डाईआक्साइड गैस को आबोहबा से सोख कर उसे लकड़ी और जैविक पदार्थ को तैयार करने में इस्तेमाल करता है। पोपलर की लकड़ी और छाल प्लाइवुड, बोर्ड और माचिस की तीलियां बनाने में प्रयोग की जाती हैं, खेल की वस्तुएं और पैन्सिल बनाने में भी इनका प्रयोग किया जाता है। भारत में यह पौधा 5-7 वर्षों में 85 फीट या उससे भी ऊपर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। भारत में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल मुख्य पोपलर उत्पादक राज्य हैं।

Seed Specification

बुवाई का समय
पोपलर के नए पौधे की रोपाई के लिए जनवरी से फरवरी का समय अच्छा होता है। रोपाई 15 फरवरी से 10 मार्च में की जा सकती है।

बीज की मात्रा और दुरी
एक एकड़ में 182 पौधे लगाने के लिए 5x5 मीटर के फासले का प्रयोग करें या 396 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5मीटर x 4 मीटर या 6 मीटर x 2 मीटर और 476 पौधे प्रति एकड़ में लगाने के लिए 5 मीटरx 2 मीटर फासले का प्रयोग करें।

बीज की गहराई
रोपाई के लिए 1 मीटर गड्ढा खोदें और पौधे को इसी गड्ढे में लगाएं। मिट्टी में गले हुए गाय का गोबर 2 किलो, म्यूरेट ऑफ पोटाश 25 ग्राम और सिंगल सुपर फॉस्फेट 50 ग्राम मिलायें।

बुवाई का तरीका
इसकी बुवाई सीधे बीज द्वारा नर्सरी में तैयार करके तथा कलम (कटिंग) विधि से पौधों की बुवाई की जाती है।

बीज का उपचार
नए पौधों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए, रोपाई से पहले नए पौधों को फफूंदनाशक से उपचार करना चाहिए। उपचार से पहले प्रभावित जड़ों की छंटाई करनी चाहिए। नए पौधे का क्लोरोपाइरीफॉस 250 मि.ली. को 100 लीटर पानी से 10-15 मिनट के लिए उपचार करें इसके बाद नए पौधों को एमीसान 6,  200 ग्राम को 100 लीटर पानी में 20 मिनट के लिए डालें।

Land Preparation & Soil Health

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
पोपलर के पौधों की उचित बढ़वार के लिए पौधरोपण के समय गड्ढे से निकली मिट्टी में 2-3 किलो गोबर की खाद, 50 ग्राम डीएपी और 25 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश मिला कर मिट्टी तैयार कर लें, अगर मिट्टी में जिंक की कमी हो, तो 1 गड्ढे में 15-20 ग्राम जिंक सल्फेट और 10 ग्राम एल्डेक्स पाउडर मिलाएं।

Crop Spray & fertilizer Specification

आप जानते है पोपलर सीधा तथा तेज बढने वाला वृक्ष है। कृषि वानिकी में इस वृक्ष का विशेष महत्व है। भारत में पोपलर साल 1950 में अमेरिका से लाया गया था। उत्तर भारत में यह बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। यह पेड़ कार्बन डाईआक्साइड गैस को आबोहबा से सोख कर उसे लकड़ी और जैविक पदार्थ को तैयार करने में इस्तेमाल करता है। पोपलर की लकड़ी और छाल प्लाइवुड, बोर्ड और माचिस की तीलियां बनाने में प्रयोग की जाती हैं, खेल की वस्तुएं और पैन्सिल बनाने में भी इनका प्रयोग किया जाता है। भारत में यह पौधा 5-7 वर्षों में 85 फीट या उससे भी ऊपर की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। भारत में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अरूणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल मुख्य पोपलर उत्पादक राज्य हैं।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतनुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करे। तथा साथ ही पोपलर की पहले साल हर 15 दिनों बाद नीचे से 3 मीटर तक आंखें तोड़तें रहें, दूसरे व तीसरे साल जनवरी में जो टहनियां बीच वाली टहनी के साथ-साथ चल रहीं हो या दूसरी टहनियों में उलझ रहीं हों, उन्हें निकाल दें, चौथे साल मई व अगस्त में 2 बार निराई करें, इस के बाद पांचवे और छठे साल नीचे के एक तिहाई व आधे हिस्से से टहनियां छांट दें।

सिंचाई
नर्सरी में पौधों की कटाई के बाद तुरंत सिंचाई करें बाकी की सिंचाई 7 से 10 दिनों के अंतराल पर मिट्टी की किस्म और जलवायु के अनुसार करें। पोपलर की खेती को अधिक पानी की आवश्यकता होने के कारण प्रथम वर्ष में सप्ताह में एक बार मानसून आने तक सिंचाई करते रहें। सर्दियों में 15 दिन बाद तथा दूसरे वर्ष महीनों में दो बार आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

Harvesting & Storage

अंतर वर्गीय फसलें
पोपलर की यह खासियत है कि यह पौधा पतझड़ होने पर दिसंबर से मार्च-अप्रैल के महीनां तक पत्तियां को गिरा देता है। नंगा पेड़ खेत में खड़ा रहता है। इसलिए गेहूं, जौ, जई, बरसीम, मटर, आलू, सरसों, गोभी, टमाटर, बैंगन या मिर्च वगैरह की फसलें पोपलर के नीचे आसानी से उगाई जा सकती हैं।
खरीफ की फसलों में मक्का, ज्वार, अरहर, उड़द, मूंग और सूरजमुखी शुरू के 3 सालों तक आसानी से उगाई जा सकती है। जायद में लौकी, टिंडा, टमाटर, खीरा, ककड़ी, और खरबूजे की खेती की जा सकती है। 4-5 साल पुराने पापुलर के नीचे हल्दी, अदरक, पुदीना और छाया में पनपने वाली फसलें उगा सकते हैं।

फसल की कटाई
अच्छा बाजारी मूल्य लेने के लिए कटाई सही समय पर करना महत्वपूर्ण है। 6-8 वर्षों में जिस समय जमीन से 1.37 मीटर की ऊँचाई पर तने की लपेट एक मीटर हो जाती है यह पेड़ काटने लायक हो जाता है।

आमदनी
वर्तमान समय में पोपलर के एक पेड़ की प्राइस 5000 – 7000 रूपये के लगभग है। इसकी लकड़ी माचिस , प्लाईवुड, पैकिंग के लिए बाक्स , खेल का सामान आदि बनाने के कम आती है। कृषि फसलों से मिलने वाली आमदनी इससे अलग होती होगी।

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