गर्मी सहनशील गेहूं की किस्में: मौसम में लगातार हो रहे बदलाव और तेजी से बढ़ते तापमान को देखते हुए मध्य प्रदेश में एक नए प्रकार का गेहूं का बीज तैयार किया गया है, जो अधिकतम तापमान में भी अपने समय पर पकने के लिए तैयार हो जाएगा। नर्मदापुरम, इंदौर, जबलपुर और सागर के अनुसंधान केंद्रों में तीन साल के शोध के बाद आम किसानों को गेहूं की नई किस्में 1634 और 1636 जारी की गई हैं। इसका प्रमाणित बीज रबी सीजन में बाजार में उपलब्ध होगा।
गेहूं की इन दोनों नई किस्मों को मध्य प्रदेश में विकसित किया गया है। प्रथम वर्ष में इंदौर अनुसंधान में शोध किया गया और अगले दो वर्षों में इंदौर सहित नर्मदापुरम, जबलपुर और सागर अनुसंधान केन्द्रों में प्लाट लगाकर शोध किया गया। इस शोध में पाया गया कि ये दोनों गेहूं की किस्में उच्च तापमान में भी समय से पहले नहीं पकती हैं।
गेंहू की 1634 तथा 1636 किस्म की विशेषता (Characteristics of 1634 and 1636 varieties of wheat)
गेंहू की 1634 किस्म (Wheat New Variety HI 1634) का दाना काले या भूरे रतुआ रोग अवरोधी होने के साथ साथ इसमें करनाल बंट रोग की प्रतिरोधक क्षमता भी शामिल है। इसका दाना चमकदार, बड़ा, कठोर तथा प्रोटीनयुक्त होता है। चपाती के लिए भी उपर्युक्त होता है।
एचआई 1636 ( HI 1636 ) किस्म का अनाज (Wheat New Variety 1636) आयताकार आकार का होता है. इस किस्म में जिंक ( 44.4 ppm ), आयरन ( 35.7 ppm ) और प्रोटीन 11.3 % के साथ बायोफोर्टिफाइड की मात्रा पाई जाती है।
गेहूं की किस्म 1634 तथा 1636 की फसल पकने की अवधि
इस वर्ष गेंहू की दो नई किस्में (Wheat New Variety HI 1634) विकसित की गई है। गेंहू की नई किस्मों में 1634 तथा 1636 है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं 1634 की फसल 110 दिन और 1636 की 115 दिन में पककर तैयार होती है। नई किस्मों का स्वाद पुरानी से बेहतर होने का दावा किया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, नई किस्म तभी जारी की जाती है जब वह पुरानी किस्मों के मुताबिक 10 फीसदी अधिक उत्पादन दे।
गेहूं की किस्म 1634 तथा 1636 की पैदावार (Yield of wheat variety 1634 and 1636)
गेहूं की नई किस्म (Wheat New Variety HI 1634) पूसा अहिल्या (एच.आई.1634) की औसत उत्पादन क्षमता 51.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उत्पादन क्षमता 70.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
गेंहू की पुरानी किस्मों (Wheat New Variety 1636) में जो औसत पैदावार 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से घटकर 55 क्विंटल रह गई थी, वह इस नई किस्म 1636 में 65 क्विंटल रही। तापमान ज्यादा ना होने पर पैदावार 70 क्विंटल तक चली गई।