Red Radish Farming: पारंपरिक फसलों की खेती के अलावा आज के समय में सब्जियों की खेती से भी किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है। अगर आप भी सब्जियों की खेती करने के इच्छुक हैं तो मूली की अच्छी किस्मों को चुनकर आप अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्नत किस्मों से न केवल अधिक उत्पादन मिलता है, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है। यही कारण है कि बाजार में उचित मूल्य उपलब्ध है।
कम लागत में कमा सकते है अच्छा मुनाफा
सर्दी का मौसम हरी और रंगीन सब्जियों के लिए जाना जाता है। इस समय वातावरण में मौजूद नमी फसलों की वृद्धि में मदद करती है। ऐसे में अगर किसान फसलों की बुवाई का काम सही समय पर करें तो वे आसानी से बेहतर मुनाफा ले सकते हैं। वैसे सब्जियों के लिए सबसे जरूरी है सलाद के लिए पर्याप्त वेरायटी का होना। इस समय बाजार में मूली, गाजर, खीरा और पत्ता गोभी जैसी कई सब्जियां उपलब्ध हैं। लेकिन फिर भी लाल मूली बाजार में कम ही देखने को मिलती है। अगर किसान इसकी खेती करते हैं तो वे सामान्य मूली की तुलना में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
लाल मूली की विशेषता और खेती के बारे में
- लाल मूली में सफेद की तुलना में अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जिससे इसकी मांग और कीमत दोनों बढ़ जाती है।
- मूली की इस किस्म का रंग लाल होता है।
- लाल मूली की बुवाई के लिए यह समय काफी उपयुक्त है।
- इस समय किसान लाल मूली की पूसा मृदुला किस्म की रोपाई कर सकते हैं।
- मूली की इस किस्म को सितंबर से फरवरी तक बोया जा सकता है।
- खास बात यह है कि इस किस्म को पूरे भारत में बोया जा सकता है।
- एक हेक्टेयर में बुवाई से 135 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
- पूसा मृदुला मूली की जड़ ऊपर के आकार की होती है।
- इसका रंग चमकीला लाल होता है।
- यह खाने में नरम होती है और इसका स्वाद कुछ तीखा होता है।
- इसकी पत्तियाँ गहरे रंग की होती हैं।
- यह किस्म बुवाई के 20 से 25 दिनों के बाद तैयार हो जाती है।
लाल मूली की खेती के लिए रखें इन बातों का ध्यान
उपयुक्त भूमि
डीडी किसान की एक रिपोर्ट के अनुसार, लाल मूली की खेती के लिए जीवाश्मों की अच्छी जल निकासी वाली दोमट दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा दोमट, बलुई मिट्टी में लाल मूली की अच्छी उपज ली जा सकती है। लाल मूली के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
खेती की तैयारी
खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले 8 से 10 टन गोबर और कम्पोस्ट को बराबर मात्रा में पूरे खेत में फैला दें। इसके बाद अच्छी तरह से खेती कर लें। हर जुताई के बाद एक पाड़ा लगाएं, जिससे खेत समतल हो जाए।
बुवाई के लिए बीज की मात्रा
बुवाई के लिए एक हेक्टेयर में 8 से 10 किग्रा बीज पर्याप्त होता है।
दुरी
बिजाई करते समय कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें।
उर्वरक प्रबंधन
लाल मूली की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए गाय का गोबर, 80 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 60 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।