फसलों की अच्छी उपज के लिए समय पर बुवाई करना आवश्यक होता है, समय से पूर्व और बाद में बुवाई करने पर परिणामस्वरूप फसलों की उपज और गुणवत्ता पर भारी प्रभाव पड़ता है। हर फसल की बुवाई का अपना समय होता है और उसी वक़्त उसकी बुवाई किसानों द्वारा की जाती है। इस लिए किसान इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं की समय से सभी फसलों की बुवाई हो जाए ताकि उनके आय पर किसी तरह का कोई प्रभाव ना पड़े। और फसलों की उचित समय पर बुवाई कर अच्छी कर अच्छी उपज प्राप्त करते है।
वहीँ अगर बात करें तो ठण्ड के मौसम में किसानों द्वारा साग और सब्जियां की खेती मुख्य तौर पर की जाती है।
साग-सब्जियों की खेती: अन्य फसलों के मुकाबले इस तरह की फसलों में लागत कम और मुनाफा काफी अधिक होता है। इसलिए हमें इस बात की जानकारी होना बेहद जरूरी है कि किस माह में कौन-सी खेती करें, ताकि भरपूर उत्पादन के साथ ही अच्छा मुनाफा कमाया जा सके। वैसे तो आजकल अधिकतर सब्जियों की खेती सालभर होने लगी है। पर बेमौसमी फसल उपजाने से उत्पादन में कमी तो आती ही है, साथ ही फसल की गुणवत्ता भी कम होती है, जिससे उसके बाजार में अच्छे भाव नहीं मिल पाते जबकि सही समय पर फसल लेने से बेहतर उत्पादन के साथ भरपूर कमाई भी होती है।
भारत एक विशाल और कृषि प्रधान देश है। यहाँ हर क्षेत्र में मौसम और जलवायु भिन्न होती है, भिन्नता होने के कारण किसान भाई मौसम और जलवायु के अनुकूल फसलों और सब्जियों की खेती करते है। आइये जानते है दिसम्बर महीने में उगाई जाने वाली सब्जियों के बारे में :-
- उत्तर भारत के क्षेत्र में उगाई जाने वाली प्रमुख सब्जियां: मूली, टमाटर, पत्तागोभी, बेंगन, पालक, प्याज, काली सरसों के बीज।
- मध्य भारत के क्षेत्र में उगाई जाने वाली प्रमुख सब्जियां: मूली, टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, बेंगन, पालक, प्याज, काली सरसों के बीज।
- दक्षिण भारत के क्षेत्र में उगाई जाने वाली प्रमुख सब्जियां: सलाद, कद्दू, खरबूजे, खीरा, तुरई, तरबूज, मिर्च, टमाटर, पत्तागोभी।
दिसम्बर महीने इन सब्जियों की खेती कर किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते है। जानिए सब्जियों की उन्नत खेती के बारे में
मूली एक खाद्य जड़ों वाली सब्जी है, मूली का उपयोग प्रायः सलाद एवं पकी हुई सब्जी के रूप में किया जाता है इसमें तीखा स्वाद होता है। मूली की फसल के लिए ठंडी जलवायु अच्छी रहती है. मूली का अच्छा उत्पादन लेने के लिए जीवांशयुक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है. इसकी उन्नत किस्में जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफ़ेद है। शीतोषण प्रदेशो के लिए रैपिड रेड, ह्वाइट टिप्स, स्कारलेट ग्लोब तथा पूसा हिमानी अच्छी किस्में हैं।
यह भारत की महत्वपूर्ण व्यावसायिक सब्जी फसल बन गयी है। यह आलू के बाद दुनिया की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है। दिसंबर माह में टमाटर की खेती की जा सकती है। इसके लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन किया जाना चाहिए। इसकी उन्नत किस्मों में अर्का विकास, सर्वोदय, सिलेक्शन -4, 5-18 स्मिथ, समय किंग, टमाटर 108, अंकुश, विकरंक, विपुलन, विशाल, अदिति, अजय, अमर, करीना, अजित, जयश्री, रीटा, बी.एस.एस. 103, 39 आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
पालक की खेती का हरी सब्जी फसलों में विशेष स्थान है। देश के लगभग सभी भागों में रबी, खरीफ एवं जायद तीनों मौसम में इसकी खेती की जाती है। पालक साग का ठंड में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, पालक को ठंडे मौसम की जरूरत होती है। ऐसे में पालक की बुवाई करते समय वातावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उपयुक्त वातावरण में पालक की बुवाई वर्ष भर की जा सकती है। पालक की उन्नत किस्मों में प्रमुख रूप से पंजाब ग्रीन व पंजाब सलेक्शन अधिक पैदावार देने वाली किस्में मानी जाती हैं। इसके अलावा पालक की अन्य उन्नत किस्मों में पूजा ज्योति, पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा भारती आदि भी शामिल हैं।
बैंगन की खेती के लिए बैंगन की बुवाई पुरे वर्ष भर में किसी भी समय की जा सकती हैं। बैंगन की खेती के लिए जीवांशयुक्त भरपूर दोमट एवं बलुआही दोमट मिट्टी बैंगन के लिए उपयुक्त होती है।
सरसों की खेती (Mustard Farming) मुख्य रूप से भारत के सभी क्षेत्रों पर की जाती है। सरसों के पत्ते सब्जी बनाने के काम आते हैं। सरसों की फसल के लिए दोमट भूमि सर्वोतम होती है, जिसमें की जल निकास उचित प्रबन्ध होना चाहिए. राई या सरसों के लिए बोई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियां जैसे- क्रांति, माया, वरुणा, इसे हम टी-59 भी कहते हैं, पूसा बोल्ड उर्वशी, तथा नरेन्द्र राई प्रजातियां की बुवाई सिंचित दशा में की जाती है तथा असिंचित दशा में बोई जाने वाली सरसों की प्रजातियां जैसे की वरुणा, वैभव तथा वरदान, इत्यादि क़िस्मों की बुवाई करनी चाहिए।
पत्ता गोभी, एक उपयोगी पत्तेदार सब्जी है। यह रबी मौसम की एक महत्वपूर्ण सब्जी है। इसे बन्धा तथा बंदगोभी के नाम से भी पुकारा जाता है। यह एक हरे पत्तेदार सब्जी है। पत्तागोभी फसल के लिए शीतोष्ण और ठंडी जलवायु आधी उपयुक्त होती है। इसके समुचित विकास के लिए 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित होता है। पत्तागोभी को विभिन्न प्रकार की भूमि पर उगाया जा सकता है, पर इसके लिए दोमट व उचित जल निकास वाली भूमि सर्वोत्तम रहती है। मिट्टी की पी एच 5.5-6.5 होनी चाहिए।
सामान्यतः रबी (Rabi) मौसम में बुवाई अक्टूबर-नवम्बर माह में तथा रोपाई दिसंबर से जनवरी के पहले सप्ताह तक की जाती है। यह मौसम प्याज की खेती के लिए सर्वोत्तम है। यह प्याज अधिकतर ग्रीष्मकाल में आने के कारण इसे ग्रीष्मकालीन प्याज भी कहते हैं।