वैज्ञानिकों ने तैयार की मसूर की नई उन्नत किस्में, जो अब लहलहाएगी लवणीय भूमि पर, इन राज्यों के किसानों को होगा फायदा

वैज्ञानिकों ने तैयार की मसूर की नई उन्नत किस्में, जो अब लहलहाएगी लवणीय भूमि पर, इन राज्यों के किसानों को होगा फायदा
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Kisaan Helpline

Crops Oct 17, 2023

Agriculture News: हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अब उन खारी जमीनों पर भी मसूर की फसल लहलहाएगी, जहां मसूर का एक भी दाना नहीं होता है। इसके लिए करनाल के केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पीयूएसए), नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने शोध के बाद मसूर की दो नई किस्मों के बीज तैयार किए हैं, जो अब जल्द ही किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे। खास बात यह है कि नई किस्मों के बीजों से बनी दाल स्वादिष्ट भी होगी और पौष्टिक भी, क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा सामान्य दाल से ज्यादा होगी।

वैज्ञानिकों के अनुसार दलहनी फसलें नमक के प्रति संवेदनशील होती हैं। यही कारण है कि ये फसलें मिट्टी में नमक की थोड़ी मात्रा भी सहन नहीं कर पाती हैं। इन फसलों को ताजे मीठे पानी के साथ सिंचाई और मिट्टी की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि देश के बड़े हिस्से में दलहनी फसलों का उत्पादन कम है। केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल मिट्टी में लवणता एवं क्षारीयता में सुधार के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

निदेशक डॉ. आरके यादव ने बताया कि संस्थान में कई फसलों की लवण सहिष्णु किस्मों पर शोध कार्य चल रहा है। इससे पहले, सीएसएसआरआई करनाल की वैज्ञानिक (आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन) डॉ. विजयता सिंह और उनकी टीम ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली, जिसे पूसा इंस्टीट्यूट के नाम से भी जाना जाता है, के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र सिंह और उनकी टीम के साथ सहयोग किया। मसूर की लवण सहिष्णु किस्मों पर अनुसंधान शुरू किया गया। इसके बाद दो किस्म के बीज पीडीएल-1 और पीएसएल-9 तैयार किये गये।

मसूर की दो उन्नत लवण सहिष्णु किस्मों पीडीएल-1 और पीएसएल-9 को भाकृअनुप-केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल एवं भाकृअनुप- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईएआरआई), पूसा, नई दिल्ली के सहयोग से पूर्वोत्तर और उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र (पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम) की मध्यम लवण ग्रस्त मृदा एवं जल के लिए विकसित किया गया। इन दोनों किस्मों को केन्द्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा राजपत्र अधिसूचना संख्या एस.ओ. 3482 (ई), दिनांक 7 अक्टूबर 2020 को विमोचित किया गया है। इन लवण सहिष्णु मसूर की किस्मों की विस्तृत विशेषताएं निम्नानुसार हैं:

मसूर की लवण सहिष्णु किस्म पीडीएल-1:

  • मसूर की इस किस्म के पौधे की ऊँचाई 30-32 सेमी, 75-80 दिनों में फूल, 103-118 दिन की परिपक्वता, 57 फली / पौधा 1.9 ग्राम 100 बीज का भार है।
  • यह किस्म प्रोटीन आयरन (95-100 मिलीग्राम / किलोग्राम बीज) और जिंक (53-63 मिलीग्राम / किलोग्राम बीज) जैसे गुणों में भी श्रेष्ठ है। 
  • लवण ग्रस्त मृदा (लवणीय ईसीई 6 डेसी साइमन / मी. और क्षारीय पीएच 9.0 तक) में इसकी उपज 11-16 क्विंटल / हेक्टेयर है, जबकि सामान्य मृदा में 25-30 क्विटल / हेक्टेयर है।
मसूर की लवण सहिष्णु किस्म पीएसएल-9: 

  • मसूर की इस किस्म के पौधे की ऊँचाई 31-33 सेमी, 69-77 दिनों में फूल, 108-116 दिन की परिपक्वता, 62 फली / पौधा, 2.6 ग्राम 100 बीज का भार है। 
  • यह किस्म प्रोटीन आयरन और जिंक की मात्रा जैसे 24-26%, 68-82 मिलीग्राम / किलोग्राम बीज और 36-50 मिलीग्राम किलोग्राम बीज जैसे गुणवत्ता गुणों में भी अच्छी है। 
  • इसकी उपज लवण प्रभावित मृदा (लवणीय ईसीई डेसी साइमन / मी. और क्षारीय पीएच 9.0 तक) में 11-15 क्विंटल / हेक्टेयर और सामान्य मृदा में 20-25 क्विंटल /हेक्टेयर है।

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