जैसे की आप जानते है दलहनी फसलों में उड़द का प्रमुख स्थान है और विश्व स्तर पर उड़द के उत्पादन में भारत अग्रणी देश है। भारत के मैदानी भागों में इसकी खेती मुख्यत: खरीफ सीजन में होती है। परंतु विगत दो दशकों से उड़द की खेती ग्रीष्म ऋतु में भी लोकप्रिय हो रही है। देश में उड़द की खेती महाराष्ट्र, आंधप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू तथा बिहार में मुख्य रूप से की जाती है। उड़द की दाल में 23 से 27 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है। उड़द मनुष्यों के लिए स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ भूमि को भी पोषक तत्व प्रदान करता है। इसकी फसल को हरी खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। और साथ ही उड़द की खेती फसल चक्र का माध्यम बन सकती हैं, फसल चक्र द्वारा मृदा से पोषक तत्वों व नमी का अवशोषण संतुलित रूप से होने के कारण उर्वरता बढ़ती है। उचित फसल चक्र अपनाने से किसान की दैनिक घरेलु आवश्यकताओं जैसे खाद्दान,दालें तेल, सब्जियां आदि को पूरा करने में मदद मिलती हैं।
हानिकारक किट और रोगो के नियंत्रण के लिए फसल चक्र अपनाना जरुरी हो जाता है। फसल चक्र में एक ही कुल की फसलें निरंतर न बोने से फसलों में किट-रोग नियंत्रण हो जाता है।
एक वर्षीय फसल चक्र:
*बाजरा-जीरा, *तिल-गेहूँ, *ग्वार-गेहूँ, *बाजरा-गेहूँ/मेथी/सरसों, *अरहर-गेहूँ, *मक्का-चना, *मूंगफली-गेहूँ/चना/जौ, *मक्का-मसूर, *ज्वार/मूंगफली-गेहूँ/चना, *धान/ज्वार/मक्का-गेहूँ
व्दिवर्षीय फसल चक्र:
*ग्वार-गेहूँ-बाजरा-चना, *मक्का-गेहूँ-उड़द-सरसों, *कपास-गेहूँ-ग्वार-गेहूँ/सरसों
त्रिवर्षीय फसल चक्र:
*मक्का-गन्ना-पेडी-गेहूँ, *कपास-मेथी-गन्ना-पेडी
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