तरबूज गर्मी के मौसम का सबसे पसंदीदा फल माना जाता है. गर्मी का मौसम आते ही हम तरबूज के बारे में सोचने लगते हैं। यह भारत में व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है। तरबूज की खेती मुख्य रूप से जायद के मौसम में की जाती है। तरबूज की खेती (Watermelon Farming) में आप कम समय में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। यही वजह है कि आजकल तरबूज की खेती का चलन बढ़ता जा रहा है, इसमें खास बात यह है कि तरबूज की खेती (Tarbuj Ki Kheti) में अन्य फलों की फसलों की तुलना में कम खाद, कम समय और कम पानी की जरूरत होती है।
तरबूज की खेती का सही समय
खैर तरबूज की खेती दिसंबर से मार्च के बीच की जा सकती है। लेकिन तरबूज की बुवाई के लिए मध्य फरवरी का समय उपयुक्त माना जाता है। जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती मार्च-अप्रैल के महीनों में की जाती है।
तरबूज की खेती के लिए अनुकूल जलवायु
उच्च तापमान वाली जलवायु तरबूज की खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। तापमान जितना अधिक होगा, फलों का विकास उतना ही अधिक होगा। बीजों के अंकुरण के लिए इष्टतम तापमान 22-25 डिग्री सेंटीग्रेड है।
तरबूज की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
इसकी खेती के लिए मिट्टी, रेतीली और बलुई दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। वहीं, मिट्टी का पीएच मान 5.5-7.0 के बीच होना चाहिए। बता दें कि बंजर या अनुपजाऊ जमीन में भी इसकी खेती की जा सकती है।
तरबूज की खेती के लिए खेत की तैयारी
पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। ध्यान रहे कि खेत में पानी की मात्रा कम या अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके बाद नदियों के खाली स्थानों में क्यारियां बना लें। अब गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। यदि बालू की मात्रा अधिक हो तो ऊपरी सतह को हटाकर नीचे की मिट्टी में खाद मिला देनी चाहिए।
तरबूज की खेती के लिए उन्नत किस्में
शुगर बेबी, अर्का ज्योति, अशायी यमातो, डब्ल्यू. 19, पूसा बेदाना, अर्का माणिक, तरबूज की भी संकर किस्में हैं, जिनमें मधु, मिलन और मोहनी मुख्य रूप से उपयोगी किस्में हैं।
तरबूज की खेती के लिए बुवाई विधि
इसकी बुआई में तरबूज की किस्म और जमीन की उर्वरता के आधार पर दूरी तय की जाती है। मेड़ों पर लगभग 2.5 से 3.0 मीटर की दूरी पर 40 से 50 सेंटीमीटर चौड़ी नाली बनाकर तरबूज की बुआई करें। इसके बाद नालियों के दोनों किनारों पर 2 से 3 बीज लगभग 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बो दें।
सिंचाई
गर्मी के मौसम में तरबूज की फसल की सिंचाई लगभग 10-15 दिनों के बाद करनी चाहिए। अगर आप नदियों के किनारे तरबूज की खेती कर रहे हैं तो सिंचाई की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि तरबूज की जड़ें रेत के नीचे से पानी सोख लेती हैं।
तरबूज की फसल की कटाई
तरबूज के फलों की तुड़ाई बुवाई के लगभग तीन से साढ़े तीन महीने बाद तुड़ाई शुरू हो जाती है। फल का आकार और रंग तरबूज की किस्म पर निर्भर करता है। यदि तरबूज के फलों को दूर भेजना हो तो पहले फलों को तोड़ लेना चाहिए। फलों को तेज चाकू से काटना चाहिए। फलों को तोड़ने के बाद छायादार स्थान पर रख दें।
तरबूज की उपज
तरबूज की उपज उन्नत किस्मों, खाद, खाद, फसल की देखभाल पर निर्भर करती है। तरबूज की उन्नत किस्मों से एक हेक्टेयर खेत में औसत उपज लगभग 200 क्विंटल से 600 क्विंटल तक हो सकती है। इसका बाजार मूल्य 8 से 10 रुपये प्रति किलो है, जिससे किसान भाई इसकी एक बार की फसल से 2 से 3 लाख आसानी से कमा सकते हैं।