टमाटर की व्यावसायिक खेती, जानिए खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

टमाटर की व्यावसायिक खेती, जानिए खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Oct 21, 2022

Tomato Farming: टमाटरवर्गीय सब्जियां हमारे देश में खेती की प्रमुख सब्जी फसलें हैं। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में टमाटर की बसन्त ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुआई कर दें एवं दिसंबर से जनवरी में तैयार पौध की रोपाई करें। इसके लिए उपयुक्त किस्में / संकर किस्में जैसे- पूसा हाइब्रिड-1, पूसा उपहार, पूसा-120, पूसा शीतल, पूसा सदाबहार प्रमुख हैं। उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट या दोमट मृदा, जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश उपलब्ध हो, टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त होती है। इसके लिए जल निकास व्यवस्था होनी आवश्यक है। टमाटर की उन्नत किस्मों के लिए 350-400 ग्राम तथा संकर किस्मों के लिए 200-250 ग्राम बीज/हैक्टर खेत की रोपाई के लिए पर्याप्त है। सीमित बढ़वार वाली प्रजातियों की रोपाई 60X60 सें.मी. तथा असीमित बढ़वार वाली किस्मों की रोपाई 75-90X60 सें.मी. की दूरी पर बनी पंक्तियों में करें एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 से 60 सें.मी. रखते हुए शाम के समय करें।
रोपाई के एक माह पहले गोबर या कम्पोस्ट की अच्छी सड़ी खाद 20-25 टन प्रति हैक्टर की दर से भूमि में मिला लें। टमाटर की उन्नत किस्मों में 40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन व संकर असीमित बढ़वार वाली किस्मों के लिए 55-60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन की प्रथम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 20-25 दिनों बाद तथा इतनी ही मात्रा की दूसरी टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 45-50 दिनों बाद करनी चाहिए।
अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए हल्की निराई-गुड़ाई करें व पौधों की जड़ों के पास मिट्टी चढ़ा दें। टमाटर की असीमित बढ़वार वाली प्रजातियों में सहारा प्रदान करने से पौधों की वृद्धि व उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और मिट्टी के संपर्क में फल आने से विभिन्न रोगों के प्रभाव से नष्ट हो जाते हैं।
अच्छी फसल के लिए खरपतवार का नियंत्रण करना अत्यन्त आवश्यक है। खेतों में खरपतवार नियंत्रण करते समय खुर्पी या कुदाल से गुड़ाई कर देने से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। सूखे घासफूस की पलवार अथवा पुआल (मल्च) पौधों के नीचे बिछाने से बढ़वार के साथ-साथ खरपतवार का नियंत्रण भी हो जाता है। टमाटर एवं मिर्च में झुलसा रोग की रोकथाम के लिए स्वस्थ बीजों का प्रयोग करें। फसलचक्र में गैर सोलनेसी कुल के पौधों का उपयोग करें। फफूंदनाशक रसायन में मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर, जिनेब 2 ग्राम प्रति लीटर, साइमोक्सानिल + मैंकोजेब 1.5-2 ग्राम या एजोक्सीस्ट्रॉबिन 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव अवश्य करें।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline