टमाटर की खेती में लगने वाले किट व रोग से बचाव के प्रबन्धन

टमाटर की खेती में लगने वाले किट व रोग से बचाव के प्रबन्धन
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Mar 14, 2022

टमाटर की खेती : किसान भाई वैसे तो टमाटर की खेती सभी मौसम में कर सकते है। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए गर्म जलवायु में इसकी खेती करना लाभदायक होता है क्योकि टमाटर का पौधा ज्यादा ठंड और नमी को सहन नहीं कर सकता है। इनके पौध की तैयारी हमे पहले से करनी होती है साथ ही इसकी देखभाल कीट व रोग से समय समय पर उपचार करना जरूरी होता है।
किसान भाई समय पर अच्छे उपचार और टमाटर फसल पर ध्यान रखते है फिर भी इसमें कई रोग आ जाते है जिससे टमाटर के पौधे, पत्तियां और फल खराब होने लगते है जो नुकशान देह है।
टमाटर की बुवाई किसान वर्षा ऋतू में करे तो उसके लिए इसकी नर्सरी जुलाई में करनी चाहिए और सितम्बर में इसकी बुवाई कर सकता है और यदि किसान गर्मी में इसकी बुवाई करें तो उसके लिए नर्सरी मार्च और अप्रैल के बिच तैयार करनी चाहिए जिसकी बुवाई मई माह में की जा सकती है।

टमाटर में लगने वाले किट व रोग से बचाव;
कीट प्रबंध :
सफेद लट : यह कीट पौधे की जड़ों पर आक्रमण करता है, जिससे पौधे मर जाते हैं। प्रबंध के लिए फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान 3 जी 20-25 किलो प्रति हेक्टयर की दर से रोपाई से पूर्व कतारों में पौधों की जड़ों के पास डालें।

कटवा लट : इस कीट रात में भूमि से बाहर निकल कर छोटे-छोटे पौधों को काटकर गिरा देती हैं। इसके नियंत्रण के लिए क्यूनॉलफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20 से 25 किलो प्रति हेक्टयर के हिसाब से भूमि में मिलाएं।

तेला व मोयला : ये कीट पौधों की पत्तियों व कोमल शाखाओं का रस चूसकर कमजोर कर देते हैं। सफेद मक्खी टमाटर में विषाणु रोग फैलाती है। इनके प्रकोप से उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रबंधन के लिए नीम आधारित जैविक दवा जैसे नीम बाण, निम्बेसिडीन आदि को दो मिली डाइमिथोएट 30 ई सी या मैलाथियॉन 50 ईसी एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर यह छिड़काव 15 से 20 दिन बाद भी दोहराए।

फल छेदक कीट : इस कीट की फल में छेद करके अंदर से खा जाते हैं और इनके प्रकोप से फल सड़ भी सकता है। इससे फल उत्पादन में कमी के साथ-साथ गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। प्रबंधन के लिए शाम के समय 2 घंटे प्रकास प्रपंच एवं फेरोमोन ट्रैप लगाए। रासायनिक नियंत्रण के लिए क्यूनालफास एक मिली प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें।

मूलग्रंथि सूत्रकृमि : इस कीट की उपस्थिति के कारण टमाटर की जड़ों पर गांठें बन जाती हैं और पौधों की बढ़वार रुक जाती है। प्रबंधन के लिए रोपाई से पूर्व 25 किलो कार्बोफ्युरान 3 जी प्रति हैक्टर की दर से भूमि में मिलाए। जैविक नियंत्रण के लिए नीम की खली 20 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ क्षेत्र की मिट्टी में मिलाएं।

टमाटर में रोग प्रबंधन :
झुलसा रोग
इस रोग से टमाटर के पौधों की पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। यह रोग दो प्रकार का होता हैं। अगेती झुलसा,इस रोग में धब्बों पर गोल छल्लेनुमा धारियां दिखाई देती हैं, जबकि पछेती झुलसा इस रोग से पत्तियों पर जलीय भूरे रंग के गोल से अनियमित आकार के धब्बे बनते हैं। जिसके कारण अन्त में पत्तियां पूरी तरह से झुलस जाती हैं। नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब 2 ग्राम या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 3 ग्राम या रिडोमिल एम जैड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।

पर्णकुंचन व मोजेक विषाणु रोग
पर्णकुंचन रोग में पौधों के पत्ते सिकुड़कर मुड़ जाते हैं और छोटे व झुर्रीयुक्त हो जाते हैं। मोजेक रोग के कारण पत्तियों पर गहरे व हल्का पीलापन लिये हुए धब्बे बन जाते हैं। इन रोगों को फैलाने में सफ़ेद मक्खी कीट सहायक होते हैं।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline