सुगंधित फूल रजनीगंधा की खेती कर किसान भाई बदल सकते अपनी किस्मत, जानिए रजनीगंधा की खेती करने का उन्नत तरीका

सुगंधित फूल रजनीगंधा की खेती कर किसान भाई बदल सकते अपनी किस्मत, जानिए रजनीगंधा की खेती करने का उन्नत तरीका
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Aug 07, 2021

रजनीगंधा एक बारहमासी पौधा है जिसका उपयोग इंत्र के निर्माण में किया जाता है। इसका नाम लैटिन भाषा ट्वरोज से निकला है। इसका हिन्दी नाम “रजनीगंधा” है। रजनीगंधा को "निशीगंधा" और "स्वोर्ड लिल्ली" के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सदाबाहार जड़ी बूटी वाला पौधा है जिस में फूल की डंठल 75-100 सैं.मी. लम्बी होती हैजो 10-20 चिमनी के जैसे आकार के सफेद रंग के फूल उत्पन करता है।

वर्तमान समय में फूलों की खेती में रजनी गंधा की खेती भी फायदे की खेती है, ये एक बहुत ही सुगंधित सफेद रंग का फूल होता है। इसकी खेती से एक बार लगाने पर लगभग 3 साल तक उत्पादन लिया जा सकता है, और ये खुले खेत में आसानी से हो जाती है,और लगभग पूरे साल इस खेती से फूल मिलता रहता है।

रजनीगंधा का उपयोग
पूरे साल रजनीगंधा की खूब मांग रहती है। इसके फूल के बुके से लेकर शादी फंक्शन में इसका प्रयोग खूब किया जाता है लूज फूल मंदिरों में चढ़ावे सेहरे बनाने और कमरे व शादी मंडप सजाने में भी इसका बहुत प्रयोग होता है। इसके फूलों से तेल व सेंट भी बनाया जा सकता है।

रजनीगंधा की खेती करने वाले राज्य
रजनीगंधा की व्यावसायिक खेती पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, तामिलनाडु और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में होती है।

उन्नत किस्में
रजनीगंधा की दो किस्में होती हैं।  एक सिंगल किस्म और दूसरी डबल किस्म। किसानों को दोनों तरह की किस्मों की खेती करनी चाहिए।'' सिंगल किस्म में लूज फूल (कली) भी बिकती है।

बुवाई का समय
बुवाई के लिए मार्च-अप्रैल महीने का समय उचित है। इसकी खेती किसान मार्च-अप्रैल से सितंम्बर तक कर सकते हैं।

बुवाई का तरीका
इसकी रोपाई कंद से की जाती है। कंद हमेशा अच्छे साइज का और स्वस्थ्य लेना चाहिये।

बीज की मात्रा
एक एकड़ में लगभग 20 हजार कंदों की आवश्यकता होती है।

भूमि का चयन
रजनीगंधा की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन यह बलुई-दोमट या दोमट मिट्टी में इसकी अच्छी उपज मिलती है। इसकी खेती के लिये खेत छायादार जगह पर न हो, और खेत में जल निकास का उचित प्रबंध हो।

खेत की तैयारी
इसको आलू की खेती जैसे बेड्स पर लगाया जाता है।

खाद एवं उर्वरक
रजनी गंधा की फसल में फूलों की अधिक पैदावार लेने के लिए उसमे आवश्यक मात्रा में जैविक खाद, कम्पोस्ट खाद का होना जरुरी है। इसके लिए एक एकड़ भूमि में 5ट्राली से 10ट्राली क्षमतानुसार गोबर की बढ़िया खाद डालनी चाहिये। इसके साथ ही NPK और सूक्ष्म तत्व भी चाहिये।

रोग प्रतिरोग क्षमता
कोई बड़ी बीमारी या कीट भी इसमें बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते।

सिंचाई प्रबंधन
गर्मी के मौसम में फसल में 8--12 दिन और सर्दी के मौसम में 20--30 दिन के अंतर पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

खरपतवार नियंत्रण
आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करते रहें।

अंतर- फसलें
अमरूद नीबू आम पपीता  और अन्य बागवानी के साथ की जा सकती है।

कटाई का समय
रजनीगंधा के पौधों में अच्छे साइज के कंद से 4-5 महीने में उत्पादन मिलने लग जाता है।

उत्पादन क्षमता और बाज़ार में मांग
एक एकड़ में लगभग 1 लाख स्टिक (फूल) मिलते हैं और इनकी मांग देश की लगभग हर एक फूल मंडी और फूल की दुकानों पर रहती है। एक स्टिक का रेट आवक और मांग के अनुसार 1.50₹-6₹ प्रति स्टिक रहता है। दूसरी साल उत्पादन और ज्यादा बढ़ जाता है।


रजनीगंधा की उन्नत खेती की सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें: https://www.kisaanhelpline.com/crops/phal_phool_tree/138_Rajnigandha

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline