Agriculture Advisory: इस वर्ष सोयाबीन की बोवनी की तिथियों में भिन्नता (जून माह के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई माह के दूसरे सप्ताह तक ) तथा सोयाबीन किस्मों की परिपक्वता अवधी को के परिपेक्ष में कई क्षेत्रों की सोयाबीन फसल इस समय फूल आने की अवस्था से लेकर फलियों में दाने भरने की स्थिति में हैं। कुछेक क्षेत्रों में फसल पर पत्ती खाने वाली इल्लियों विशेषकर तम्बाकू की इल्ली, सेमीलूपर इल्ली व चने की इल्ली के साथ-साथ चक्र भृंग का प्रकोप देखा जा रहा हैं। जबकि मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के कुछ जिलों में फफूंदजनित रोग जैसे रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट, एन्थ्राक्रोज तथा पीला मोज़ेक वायरस नामक रोगों के संक्रमण कि स्थिति बनी हुयी हैं। ऐसी स्थिति में सोयाबीन कृषकों को कीट एवं रोग नियंत्रण के निम्न उपाय अपनाने की सलाह हैं।
चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु उपयोगी सलाह
ऐसे क्षेत्र जहा सोयाबीन कि बोवनी जुलाई माह के दुसरे सप्ताह में या उसके बाद हुई हैं, चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एम.सी. ( 750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1 ली है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/हे) का प्रारंभिक अवस्था में ही छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट करें।
इल्लियों के नियंत्रण के लिए करें ये उपाय
ऐसे क्षेत्र जहा सोयाबीन की फसल फूल आने की स्थिति में हों, कृषकों को सलाह हैं कि वे फसल की नियमित निगरानी करते रहे और देखे कि फसल पर पत्ती खाने वाली इल्लियाँ विशेषकर सेमीलूपर इल्ली, तम्बाकू की इल्ली या चने की इल्ली का प्रादुर्भाव है या नहीं? क्यों कि यह देखने में आ रहा हैं कि कुछ इल्लियाँ फूलों को खाकर नुकसान पहुचाती हैं। अतः तुरंत इनके नियंत्रण के उपाय अपनाये इसके लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें (बाद की अवस्था में भी इल्लियों के नियंत्रण के लिए इन कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता हैं):
इल्लियों के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशक:
ब्रोफ्लानिलाईड 300 एस.सी. ( 42-62 ग्राम/हे). या फ्लूबेडियामाइड 39.35 एस.सी ( 150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मि.ली/हे), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या " नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50% एस. सी. (825-875 मिली / है) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. ( 150 मि.ली. /हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे), या फ्लूबेडियामाइड 20 डब्ल्यू. जी (250-300 ग्राम/हे) या लैम्बडा सायहॅलोथ्रिन 04.90 सी. एस. (300 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50ई.सी. (1 ली/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी ( 450 मिली/हे) का छिडकाव करें।
चने की इल्ली को नियंत्रित करने के उपाय
ऐसे क्षेत्र जहा सोयाबीन की फसल में दाने भरने के पूर्व अथवा दाना भरने की अवस्था में हैं, सेमीलूपर या चने की इल्ली द्वारा फलिया / दाने खाने की सम्भावना को देखते हुए सलाह हैं कि फसल पर इंडोक्साकार्ब 15.8ई. सी. (333 मि.ली/हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या इमामेक्टीन बेन्जोएट ( 425मिली है) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी. एस. (300 मिली/हे) का छिडकाव करें।
सोयाबीन की फसल में फफूंदजनित रोगों के नियंत्रण के उपाय
रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट
एन्थ्राक्रोज
एन्थ्राक्रोज
फफूंदजनित रोगों (रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट तथा एन्थ्राक्रोज) के नियंत्रण हेतु अनुशंसित फफूंदनाशकों टेवूकोनाझोल 25.9% ई.सी. ( 625मि.ली/हे). या टेवूकोनाझोल+सल्फर (1.25 कि.ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन डब्ल्यू. जी. (375-500 ग्रा./हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपिक्साकोनाजोल 50g/ एस.ई (750 | मि.ली/हे.) या फ्लुक्सापग्रोक्साड + पायरोक्लोस्ट्रोबीन (300ग्रा/हे) का छिड़काव किया जा सकता हैं। दाने भरने की अवस्था में फफूंदनाशक के छिडकाव से बीज गुणवत्ता वृद्धि हेतु लाभ मिलता हैं।
पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह
पीला मोज़ेक रोग
सफ़ेद मक्खी
पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोविन (125 मिमी/ या वीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड ( 350 मिली/हे) का छिड़काव करें. इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है. यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
फसल सुरक्षा के लिए अन्य उपयोगी सलाह
- खेत के विभिन्न स्थानों पर निगरानी करते हुए यदि आपको कोई ऐसा पौधा मिले जिस पर झुण्ड में अंडे या इल्लिया हों, ऐसे पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कापित करें।
- सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु "T" आकार के वर्ड-पर्चेस लगाये, इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
- कीट या रोग नियंत्रण के लिए केवल उन्ही रसायनों का प्रयोग करें जो सोयाबीन की फसल में अनुशंसित हों।
- उन रसायनों या रसायनों के मिश्रण का उपयोग नहीं करें जो सोयाबीन फसल के लिए अनुशंसित नहीं हैं। इससे सोयाबीन की फसल पूर्णतः ख़राब होने की सम्भावना होती हैं।
- कीटनाशक या फफूंदनाशक के छिड़काव के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें (नेप्सेक स्प्रयेर से 450 लीटर / हे या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर / हे न्यूनतम)
- किसी भी प्रकार का कृषि आदान क्रय करते समय दूकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।