सोयाबीन के पौधों पर इस रोग का प्रभाव किट के माध्यम से फैलता है। इस रोग की सुंडी कत्थई रंग की दिखाई देती है, जो पौधे की पत्तियों की तेजी से खाती है, जिससे पौधे की पत्तियों के उतक छिल जाते हैं। रोग बढ़ने पर पौधे पत्तियों रहित दिखाई देते हैं, और उनका विकास रुक जाता है।
रोकथाम के उपाय
क्षतिग्रस्त पौधे को उखाड़कर नष्ट करें।
गर्मी में गहरी जुताई करें।
उपयुक्त बीज दर ही अपनायें।
अत्याधिक नाईट्रोजन उर्वरकों का उपयोग न करें।
खरपतवार नियंत्रण करें।
जैविक नियंत्रण के लिए मकड़ी, छिपकली, मकोड़े, चिड्डे, आदि से बचाव करना चाहिए।
प्रकाश और फेरामोन फन्दों का उपयोग करे।
वनस्पति नियंत्रण के लिए एन.पी. वायरस 250 एल.ई. 500 मि.लि पानी के साथ छिड़काव करे।
रसायनिक नियंत्रण
रसायनिक कीटनाशकों का उपयोग उस समय करना चाहिए जब कीट की संख्या आर्थिक देहली स्तर को पार कर ले।
क्लोरेन्टानीलीप्रोल 18.50% एस सी 60 मि.लि /एकड़ की दर से छिड़काव करें।
फ्लुबेंडामाइड 20% एस.सी 100 मि.लि/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
क्वीनॉलफोस 25 एम.सी. 1000 मि.लि./हे की दर से छिड़काव करें।
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