सोयाबीन की फसल में रोग या कीटों की प्रारंभिक अवस्था में या लक्षण दिखते ही, नियंत्रण के लिए करें ये उपाय

सोयाबीन की फसल में रोग या कीटों की प्रारंभिक अवस्था में या लक्षण दिखते ही, नियंत्रण के लिए करें ये उपाय
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Kisaan Helpline

Crops Aug 31, 2022

Soybean Crop: सोयाबीन के प्रमुख क्षेत्रों में विगत सप्ताह फसल पर पीला मोज़ेक वायरस, रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट तथा एन्थ्रोक्नोज नामक रोगों का प्रकोप देखा जा रहा हैं। इसके साथ साथ चक्र भृंग, तना मक्खी एवं पत्ती खाने वाली इल्लियाँ (तम्बाकू की इल्ली, सेमीलूपर इल्ली एवं चने की इल्ली) का प्रकोप बना हुआ है। कृषकों को सलाह हैं रोग या कीटों की प्रारंभिक अवस्था में या लक्षण दिखते ही, निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनाये।

फफूंदजनित रोगों (रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट तथा एन्थ्राक्नोज) के नियंत्रण हेतु अनुशंसित फफूंदनाशकों टेबूकोनाझोल 25.9% ई.सी (625 मि.ली/हे). या | टेबूकोनाझोल+सल्फर (1.25 कि.ग्रा./हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन   डब्ल्यू. जी. (375-500 ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपिक्साकोनाजोल 50g/1 एस.ई. (750मि.ली/हे.) या फ्लुक्सापग्रोक्साइ+ पायरोक्लोस्ट्रोबीन (300ग्रा/ है) का छिडकाव किया जा सकता हैं. दाने | भरने की अवस्था में फफूंदनाशक के छिडकाव से बीज गुणवता वृद्धि हेतु लाभ मिलता हैं।


पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का छिड़काव करें इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है. यह भी सलाह है कि सफेद मक्खी के नियंत्रण | हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।


महाराष्ट्र के कुछ जिलों में गेरुआ (रस्ट / ताम्बेरा) रोग के के प्रारंभ की सूचना हैं। देखे गए हैं। कृषकों को सलाह हैं कि प्रारंभिक लक्षण दीखते ही तुरंत क्रेसोक्सिम मिथाईल 443% एस.सी. 500 मि.ली. हे. या पिकोक्सीस्ट्रोबिन".52 एस.सी. 1400 मि.ली/हे.) या फ्लुक्सापग्रोक्साड 9167/ पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 8/1 SC ( 300ग्राहे) या + g/l (300) T हेक्साकोनाझोल % ईसी 800 मि.ली. हे. में से किसी एक रसायन का तुरंत अपने खेत में छिड़काव करें।


कीट नियंत्रण:
ऐसे क्षेत्र जहा सोयाबीन की फसल दाने भरने की अवस्था में हैं, चने की इल्ली द्वारा दाने खाने की सम्भावना को देखते हुए सलाह हैं कि फसल पर इंडोक्साकार्ब 15.8ई.सी. (333) मि.ली/हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली / है) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी. एस. (300 मिली/है) का छिड़काव करें।


कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फलिया कट कट कर गिरने की स्थिति देखि गई हैं। यह समस्या शीघ्र पकने वाली किस्मों में ही अधिकतर देखि जाती हैं जो कि प्रारंभिक रूप से चूहों द्वारा निर्मित समस्या हो सकती है। अतः सलाह है की चूहों के नियंत्रण हेतु चूहों के बील के आसपास | जिंक फास्फाइड आधारित बिस्कुट / केक / आटे की गोलिया बनाकर रखे।


चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस. सी. (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी ( 1 ली है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट) (425 मिली है) का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्टकर।


तना मक्खी, चक्र भृंग तथा पत्ती खानेवाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60% ZC (200 मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली है) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली है) का छिड़काव करें।



पत्ती खाने वाली इल्लियाँ (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली) हो, इनके नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें क्विनालफॉस 25 ई.सी. (1 ली/हे), या ब्रोफ्लानिलिडे 300 एस.सी. (42 62 ग्राम / है), या फ्लूबेडियामाइड 39.35 एस.सी ( 150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8ई.सी. (333 मि.ली/हे). या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस. सी., (250-300 मिली/ है) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50% एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मि.ली./हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे), या फ्लूबेडियामाइड 20डब्ल्यू. जी (250-300 ग्राम / हे) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी. एस. (300 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50ई.सी.1 सी/हे या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450 मिली है) या पूर्वमिश्रित बीटासायनि + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली / है) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम लैम्बडा सायहेलोथ्रिन) 125 मिली/ है (या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30% + लैम्बडा सायहेलोथिन 04.60% ZC (200 मिली/हे) का छिड़काव करें।

बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप प्रारंभ होने पर किसानों को सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें | एवं इसके नियंत्रण हेतु फसल पर लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी.एस. (300 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.8ई.सी. (333 मि.ली./हे) का छिडकाव करें।


फसल सुरक्षा के लिए अन्य उपयोगी सलाह
  • खेत के विभिन्न स्थानों पर निगरानी करते हुए यदि आपको कोई ऐसा पौधा मिले जिस पर झुण्ड में अंडे या इल्लिया हों, ऐसे पौधों को खेत से उखाड़कर निष्काषित करें।

  • जैविक सोयाबीन उत्पादन में रुची रखने वाले कृषक गण पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाखू की इल्ली) की छोटी अवस्था की रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1ली/हे) का प्रयोग कर सकते हैं यह भी सलाह है कि प्रकाश प्रपंच का भी उपयोग कर सकते हैं।

  • सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु "T" आकार के बर्ड-पर्चेस लगाये इससे कीट भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
  • कीट या रोग नियंत्रण के लिए केवल उन्ही रसायनों का प्रयोग करें जो सोयाबीन की फसल में अनुशंसित हों।
  • उन रसायनों या रसायनों के मिश्रण का उपयोग नहीं करें जो सोयाबीन फसल के लिए अनुशंसित नहीं हैं, इससे सोयाबीन की फसल पूर्णतः खराब होने की सम्भावना होती हैं।
  • कीटनाशक या फफूंदनाशक के छिडकाव के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें (नेप्सेक स्प्रयेर से 450 लीटर/ है या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर / हे न्यूनतम) 
  • किसी भी प्रकार का कृषि आदान क्रय करते समय दूकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर 7 एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।

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