Agriculture Advisory : जिन क्षेत्रों में जून के अंतिम सप्ताह में बुआई की गई थी, वहां फसल 90-95 दिन दिन की हो गई हैं और सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्में परिपक्व हैं और कटाई के लिए लगभग तैयार हैं। इसलिए सोया किसानों को निम्नलिखित सलाह दी जा रही है:
सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्मों में फसल की कटाई तब की जा सकती है जब 90% फलियाँ पीली हो जाएँ। इससे बीज के अंकुरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
सोयाबीन की फसल की कटाई से पहले किसानों को मौसम के पूर्वानुमान की जांच कर लेनी चाहिए और कटाई के बाद 4-5 दिनों तक बारिश न होने पर ही कटाई करनी चाहिए, अन्यथा कटाई के बाद बारिश से फंगस की वृद्धि हो सकती है और उपज की गुणवत्ता कम हो सकती है।
कटी हुई सोयाबीन की फसल को धूप में सुखाकर उसकी गहाई करें। यदि तुरंत गहाई करना संभव न हो तो फसल को बारिश से बचाने के लिए किसी सुरक्षित स्थान पर एकत्र कर लें।
अगले साल बीज के रूप में उपयोगी सोयाबीन की फसल की थ्रेसिंग में 350 से 400 आर. पी. एम. पर करें ताकि बीज की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
सोयाबीन की फसल पक जाने पर बरसाती क्षेत्रों में खेत से अतिरिक्त पानी की तुरंत निकासी की व्यवस्था करें और फसल को जलभराव से होने वाले नुकसान से बचाएं।
सोयाबीन की फलियों में भराव या पकने की अवस्था के दौरान फसल पर लगातार वर्षा होने से सोयाबीन की गुणवत्ता में कमी आ सकती है या फलियों के अंकुरित होने की संभावना हो सकती है। इसलिए, फसल की कटाई सही समय पर करने की सलाह दी जाती है ताकि फलियों के फटने से होने वाले नुकसान या फलियों के अंकुरित होने के कारण बीज की गुणवत्ता में गिरावट से बचा जा सके।
जहाँ फसल 80-90 दिन की हो, वहाँ फलियाँ दानों से भरी होती हैं। कीट रोग के प्रकोप से अधिक नुकसान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में कीटनाशकों/फफूंदनाशकों का प्रयोग लाभकारी नहीं होगा। अत: कीट प्रबंधन फसल की स्थिति तथा कीट/रोग संक्रमण की तीव्रता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।