सरसों की फसल में चेपा कीट लगने पर करें ये उपाय, तभी बढ़ेगी फसल की पैदावार

सरसों की फसल में चेपा कीट लगने पर करें ये उपाय, तभी बढ़ेगी फसल की पैदावार
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Kisaan Helpline

Crops Jan 19, 2024

विश्व में प्रमुख तिलहनी फसलें मूंगफली, सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी हैं। अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, चीन और भारत प्रमुख तिलहन उत्पादक देश हैं। भारत में मुख्य रूप से मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, कुसुम, अरंडी, तिल और अलसी को तिलहन फसलों के रूप में उगाया जाता है। सरसों के उत्पादन और क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में चीन और कनाडा के बाद तीसरे स्थान पर है। भारत में सरसों मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है।

देश में सरसों की फसल का अहम स्थान है। कम सिंचाई व कम लागत के कारण सरसों की खेती किसानों में लोकप्रिय है। सरसों की फसल पर रोग-कीट का हमला होने पर फसल को नुकसान होने की आशंका रहती है। ऐसे में यदि हम शुरुआत में ही सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों पर नियंत्रण के उपाय कर लें तो सरसों की फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

सरसों की फसल में चेपा (Aphid) मुख्य कीट है
सर्दी के कारण सरसों की फसल पर चेपा (Aphid)/अल नामक कीट का प्रकोप हो जाता है। ये हल्के पीले-हरे रंग के कीट होते हैं जो पौधे के विभिन्न भागों विशेषकर कलियों, फूलों, फलियों तथा पुष्पों पर समूह में रहते हैं तथा रस चूसते हैं।

चेपा (Aphid) के नुकसान
रस चूसने से पौधे की वृद्धि रुक जाती है। फलियाँ कम निकलती हैं, दाने ठीक से नहीं बनते और फलियाँ सूख जाती हैं, जिससे उपज प्रभावित होती है।

रोकथाम
यदि प्रति पौधे 13 कीट हों तो 250-400 मिलीलीटर मिथाइल डेमेटान (मेटासिस्टैक्स) 25 ईसी या डाइमेथोएट (रोगोर) 30 ईसी को 250 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। यदि आवश्यक हो तो दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद करें।

सरसों से सम्बंधित रोग
  • सफेद रतुआ: यह तने और पत्तियों पर सफेद या पीले क्रीम रंग के स्पाइक्स के रूप में दिखाई देता है।
  • स्टैग हेड: तने और फूल अस्त-व्यस्त हो जाते हैं। इसमें फलियाँ नहीं बनती और उपज कम हो जाती है।
  • अल्टरनेरिया ब्लाइट: पौधे की पत्तियों, तनों और फलियों पर गोल, भूरे धब्बे दिखाई देते हैं। बाद में ये धब्बे काले रंग के हो जाते हैं और गोल छल्ले के रूप में दिखाई देते हैं। सफेद रतुआ, स्टैग हेड एवं अल्टरनेरिया ब्लाइट रोग के लक्षण दिखाई देते हैं। 600 ग्राम मैन्कोज़ैब (डाइथेन या इंडोफिल एम-45) को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर प्रति एकड़ 2 से 3 बार छिड़काव करें।
  • तना सड़न रोग: तनों पर लंबे आकार के भूरे जलसिक्त धब्बे बन जाते है जिन पर बाद में सफेद फफूंद की तरह बन जाती है।

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