Mustard cultivation: सरसों की खेती शरद ऋतु में की जाती है। अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। वैसे तो इसकी खेती सभी मृदाओं में कई जा सकती है लेकिन बलुई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती है। यह फसल हल्की क्षारीयता को सहन कर सकती है। लेकिन मृदा अम्लीय नहीं होनी चाहिए।
सरसों के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है। इसे लिए खरीफ की कटाई के बाद एक गहरी जुताई प्लाऊ से करनी चाहिए औरइसके बाद तीन चार बार देशी हल से जुताई करना लाभप्रद होता है नमी संरक्षण के लिए हमें पाटा लगाना चाहिए। खेत में दीमक, चितकबरा और अन्य कीटो का प्रकोप अधिक हो तो, नियंत्रण के लिए अन्तिम जुताई के समय क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से अंतिम जुताई के साथ खेत मे मिलना चाहिए। साथ ही उत्पादन बढ़ाने के लिए 2 से 3 किलोग्राम एजोटोबेक्टर व पीए. बी कल्चर की 50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकल्चर में मिलाकर अंतिम जुताई से पूर्व मिला दें।
सरसों की बुवाई
- सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 26 सेल्सियस तक रहता है। बारानी में सरसों की बुवाई 05 अक्टूबर से 25 अक्टुबर तक कर देनी चाहिए।
- सरसों की बुवाई कतारो में करनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 45 सें. मी. तथा पौधों से पौधे की दूरी 20 सेमी. रखनी चाहिए। इसके लिए सीडड्रिल मशीन का उपयोग करना चाहिए। सिंचित क्षेत्र में बीज की गहराई 15 सेमी. तक रखी जाती है।
बीज एवं बिजाई
- बीज की मात्रा : 600 से 700 ग्राम प्रति बीघा ।
- दूरी : किसान भाइयों खेतों में सरसों की बुवाई करते समय खूड से खूड की दूरी 30 से 45 सेंटीमीटर (यानि 1 से 1.5 फीट) की रखें।
बीजोपचार
1. जड़ सड़न रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई के से पहले फफूंदनाशक बाबस्टीन वीटावैक्स, कैपटान, थिरम, प्रोवेक्स में से कोई एक 3 से 5 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
2. कीटो से बचाव के लिए इमिडाक्लोरपीड 70 डब्लू पी, 10 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचरित करें।
3. कीटनाशक उपचार के बाद मे एजेंटोबैक्टर और फॉस्फोरस घोलक जीवाणु खाद दोनों की 5 ग्राम मात्रा से प्रति किलो बीजो को उपचारित कर बोएं।
खाद उर्वरक प्रबन्धन
सिंचित फसल के लिए 7 से 12 टन सड़ी गोबर, 175 किलो यूरिया, 250 सिंगल सुपर फॉस्फेट, 50 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश और 200 किलो जिप्सम बुबाई से पूर्व खेत में मिलनी है, यूरिया की आधी मात्रा बुबाई के समय और शेष आधी मात्रा पहली सिंचाई के बाद खेत मे छिटकनी चाहिये, असिंचित क्षेत्र में बारिश से पहले 4 से 5 टन सड़ी, 87 किलो यूरिया, 125 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट, 33 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से बुबाई के समय खेत में डालें।
सिंचाई
तीन सिंचाई उपलब्ध होने पर
- पहली सिंचाई बुबाई के 35 से 40 दिन बाद (बढ़वार के समय )
- दूसरी सिंचाई प्रथम सिंचाई के 35 से 40 दिन बाद (फूल आने के समय )
- तीसरी सिंचाई दूसरी सिंचाई के 30 से 35 दिन बाद (फलियां बनने की शुरुआत पर )
दो सिंचाई पानी की कमी होने पर
- पहली सिंचाई बुवाई के 40 से 45 दिन बाद
- दूसरी सिंचाई बुवाई के 90 से 100 दिन बाद
नोट : भारी मिटटी वाली जमीनों में दो से अधिक सिंचाई नहीं करें, क्योकि अधिक पानी देने से तना -गलन रोग का प्रकोप बढ़ता है।
खरपतवार नियंत्रण
सरसों के साथ अनेक प्रकार के खरपतवार उग आते है, इनके नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई बुवाई के तीसरे सप्ताह के बाद से नियमित अन्तराल पर 2 से 3 निराई करनी आवश्यक होती हैं। रासयानिक नियंत्रण के लिए अंकुरण से पहले बुवाई के तुरंत बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथालीन 30 ई सी रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।
उत्पादन
अगर किसान भाई आप सरसों की खेती ठीक से करें। जिससे आपको अच्छी पैदावार मिल सकती है। असिंचित क्षेत्रों में इसकी पैदावार लगभग 15 से 20 क्विंटल तक हो सकती है। वहीं अगर संचित क्षेत्रों में देखा जाए तो 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।