सरसों की इन किस्मों से होगा शानदार उत्पादन, जानिए इन किस्मों के बारे में

सरसों की इन किस्मों से होगा शानदार उत्पादन, जानिए इन किस्मों के बारे में
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Kisaan Helpline

Crops Nov 04, 2023

Mustard Varieties: रबी तिलहनी फसलों में सरसों का प्रमुख स्थान है। देखा जाए तो सीमित सिंचाई की स्थिति में सरसों की फसल अधिक लाभदायक मानी जाती है। यदि किसान सरसों की उन्नत किस्मों का उपयोग करें और इसकी सही तरीके से खेती करें तो वे कम समय में सरसों की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इसी क्रम में आज हम किसानों के लिए सरसों की शीर्ष तीन किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं, जिनकी खेती दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर समेत भारत के विभिन्न राज्यों में आसानी से की जा सकती है। सरसों की ये सभी किस्में 137-156 दिनों में पक जाती हैं। साथ ही इन उन्नत किस्मों की खेती से किसान लगभग 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

हम सरसों की जिन तीन किस्मों की बात कर रहे हैं वो हैं एनआरसीडीआर-2, एनआरसीएचबी-506 हाइब्रिड और एनआरसीडीआर-601। इन किस्मों को आईसीएआर-डीआरएमआर द्वारा विकसित किया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं सरसों की इन तीन उन्नत किस्मों के बारे में-

एनआरसीडीआर-2 (भारतीय सरसों)

  • पहचान का वर्ष: 2006
  • अधिसूचना का वर्ष: 2006/ 2007
  • अधिसूचना संख्या: 122 (E)
  • अधिसूचना तिथि: 06/02/2007
  • केंद्र / राज्य: केंद्र
  • ज़ोन के लिए अनुशंसित: ज़ोन II (दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान)
  • कृषि पारिस्थितिकीय स्थिति:: समय पर बोई गई सिंचित स्थितियाँ.
  • पौधे की ऊंचाई: 165- 212 सेमी
  • औसत उत्पादकता : 1951-2626 किग्रा/हेक्टेयर
  • तेल की मात्रा : 36.5- 42.5 %
  • बीज का आकार: 3.5-5.6 ग्रा
  • प्रति फली बीज की संख्या : 15-18 बीज
  • परिपक्वता के दिन: 131-156 दिन
  • उत्पादन क्षमता : 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर 
  • विशेष गुण: बुवाई के समय लवणता और उच्च तापमान के प्रति सहनशील। सफेद रतुआ, अल्टरनेरिया ब्लाइट, स्क्लेरोटिनिया स्टेम रोट, पाउडरी मिल्ड्यू और एफिड्स का कम प्रकोप।
एनआरसीएचबी-506 हाइब्रिड (भारतीय सरसों)

  • पहचान का वर्ष : 2008
  • अधिसूचना का वर्ष: - 2008/ 2009
  • अधिसूचना संख्या: 454 (E)
  • अधिसूचना तिथि: 11/02/2009
  • केंद्र / राज्य: केंद्र
  • ज़ोन के लिए अनुशंसित: ज़ोन III (राजस्थान और उत्तर प्रदेश)
  • कृषि पारिस्थितिकीय स्थिति:: Highly Adaptation
  • पौधे की ऊंचाई: 180- 205 सेमी
  • औसत उत्पादकता : 1550-2542 किग्रा/हेक्टेयर
  • तेल की मात्रा : 38.6- 42.5 %
  • बीज का आकार: 2.9-6.5 ग्रा
  • प्रति फली बीज की संख्या : 12-15 बीज
  • परिपक्वता के दिन: 127-148 दिन
  • उत्पादन क्षमता : 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • विशेष गुण: उच्च तेल की मात्रा
एनआरसीडीआर-601 (भारतीय सरसों)

  • पहचान का वर्ष : 2009
  • अधिसूचना का वर्ष: - 2009/ 2010
  • अधिसूचना संख्या: 733 (E)
  • अधिसूचना तिथि: 01/04/2010
  • केंद्र / राज्य: केंद्र
  • ज़ोन के लिए अनुशंसित: ज़ोन II (दिल्ली, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, पंजाब और राजस्थान)
  • कृषि पारिस्थितिकीय स्थिति:: समय पर बोई गई सिंचित स्थितियाँ.
  • पौधे की ऊंचाई: 161- 210 सेमी
  • औसत उत्पादकता : 1939-2626 किग्रा/हेक्टेयर
  • तेल की मात्रा : 38.7- 41.6 %
  • बीज का आकार: 4.2-4.9 ग्रा
  • प्रति फली बीज की संख्या : 14-17 बीज
  • परिपक्वता के दिन: 137-151 दिन
  • उत्पादन क्षमता : 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • विशेष गुण: बुवाई के समय लवणता और उच्च तापमान के प्रति सहिष्णु। सफेद रतुआ, (स्टैग हेड), अल्टरनेरिया ब्लाइट और स्क्लेरोटेनिया रोट का कम प्रकोप।

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