नाइट्रोजन की कमी
नाइट्रोजन, सब्जी फसल की अत्यधिक पैदावार एवं गुणवत्ता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। इसका समुचित प्रयोग मृदा स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी है। इस पोषक तत्व की कमी के लक्षण पुरानी पत्तियों पर पहले दिखाई देते हैं एवं पौधे की बढ़वार रुक जाती है और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।
फॉस्फोरस की कमी
इस पोषक तत्व की कमी से पत्तियां छोटी रह जाती हैं और हरी व बैंगनी रंग की हो जाती हैं।
पोटाश की कमी
इस पोषक तत्व की कमी के लक्षण पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं। टमाटर तथा फ्रेंचबांस में इसकी कमी के कारण पत्तियां किनारे की तरफ से झुलसने लगती हैं।
कैल्शियम की कमी
इस तत्व की कमी के लक्षण नई पत्तियों में पहले दिखाई देते हैं। पत्तियां छोटी व विकृत हो जाती हैं एवं किनारे कटे - फटे हो जाते हैं। टमाटर , तरबूज , शिमला मिर्च आदि में फल की नोक की सड़न इस तत्व की कमी के कारण होती है।
मैग्नीशियम की कमी
इसकी कमी से पत्तियों पर धारियां बन जाती हैं। पत्तियों की नसों के बीच की जगह पीली हो जाती है। टमाटर , फूलगोभी में हरिमाहीनता ( क्लोरोलिस ) इसी तत्व की कमी के कारण होती है।
मैग्नीज की कमी
इसमें पत्तियों की अंत: शिराओं में छोटे-छोटे हरिमाहीन धब्बे विकसित हो जाते हैं। अधिक कमी होने पर धब्बो हल्के हरे रंग से बदलकर पीले या भूरे सफेद हो जाते हैं। मटर में मार्श स्पॉट विकार इसी तत्व की कमी से होता है।