भिण्डी पोषकीय गुणों के लिये सब्जियों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। बाजार में उपलब्धता के आधार पर भिण्डी की लाल फली वाली किस्में हरी फली वाली भिण्डी की किस्मों से कम प्रचलित हैं तथा लोगों को लाल भिण्डी के पोषकीय गुणों की जानकारी कम है। इस किस्म का पोषण मान एन्थोसाइनिन के कारण हरी भिण्डी से अधिक होता है, जिसको ध्यान में रखकर भा.कृ.अनु. प. - भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) द्वारा भिण्डी की काशी लालिमा किस्म विकसित की गयी है । इस किस्म को केन्द्रीय किस्म विमोचन समिति द्वारा वर्ष 2019 में अधिसूचित एवं उत्तर प्रदेश राज्य में खेती के लिए संस्तुत किया गया।
लाल भिंडी की नई किस्म काशी लालिमा की खाशियत
- इस किस्म की फलियों का रंग बैंगनी - लाल, फली लम्बाई 11.0-14.0 सेमी. एवं व्यास 1. 15-1.6 सेमी. होता है। सामान्यतः इस किस्म पर लगभग 20-22 फलियाँ लगती हैं।
- प्रथम बार फलियों एक पौधे की तुड़ाई बीज बुवाई के 45 दिनों बाद होती है एवं प्रति हेक्टेयर औसत उपज 14.0-14.5 टन होती है।
- जायद एवं खरीफ दोनों मौसम में खेती के लिए उपयुक्त है।
- यह किस्म पीत शिरा मोजैक एवं पत्ती शिरा विन्यास पर्ण कुंचन (इनेशन लीफ कर्ल) बीमारी के प्रति ज्यादा सहनशील है।
- इस किस्म की फली में एन्थोसाइनिन 3.2-3.6 मिग्रा. प्रति 100 ग्राम पाया जाता है जबकि हरी फली वाली किस्मों में प्रायः नही के बराबर होता है।
- फलियों में आयरन 51.3 पी.पी.एम., जिंक 49.7 पी.पी.एम. एवं कैल्शियम 476.5 पी.पी.एम. पाया जाता है।
- लाल भिण्डी में उचित मात्रा में एण्टी आक्सीडेण्ट पाया जाता है, जो शरीर के ऊतकों में आक्सीकरण की प्रक्रिया पूरी करता है जिससे कोशिकाएं नष्ट होती हैं, को रोकता है।
देश में वैश्विक महामारी के बाद लोगों की पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। ऐसे में लाल भिण्डी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। हरी भिण्डी की अपेक्षा लाल भिण्डी का पोषण मूल्य अधिक एवं उपभोक्ता के ज्यादा मांग से किसानों की इस किस्म की खेती से अधिक आय प्राप्त हो रही है एवं लोगों के स्वास्थ में आशातीत वृद्धि हो रही है। संस्थान में इस किस्म का जनक बीज एवं सत्यापित बीज तैयार किया जा रहा है।