किनोवा एक विदेशी फसल है, जो कि एमरेन्थेसी कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम चिनोपोडियम किनोवा है। इसको खेतो ज्यादातर दक्षिण अमेरिका में की जाती है। इसके साथ ही इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, चीन, कनाडा, बोलिविया, पेरु आदि देशों में भी इसे उगाया जाता है। भारत में किनोवा की पैदावार की अपार संभावना एवं अनुकूल जलवायु होने के कारण इसका उत्पादन संभव है। वर्तमान में देश के कई क्षेत्रों जैसे-राजस्थान, तेलंगाना एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में इसकी खेती की जा रही है।
किनोवा एक दलहनी फसल है जिसकी ऊंचाई लगभग 1-1.5 एवं 2 मीटर तक होती है। जड़ें गहरी होने के कारण इसकी खेती सिंचित, असिंचित एवं बारानी अवस्था में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसे सुपर फूड भी कहा जाता है। किनोवा विश्व में उगाई जाने वाली स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्य फसलों में से एक होने के साथ-साथ प्रोटीन एवं विटामिन 'बी' से भी भरपूर है।
पोषक तत्व
यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसके साथ ही इसकी कुछ प्रजातियों में तो सभी 9 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं। इसमें रेशा, विटामिन 'बी' व 'ई' के अलावा मुख्य पोषक तत्व जैसे-कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस तथा आयरन आदि मौजूद हैं।
किनोवा ग्लूटनमुक्त होने के कारण पचाने में आसान है। इसमें कम ग्लाइसेमिक सूचकांक होता है और यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सक्षम होता है।
किनोवा के गुण
किनोवा में भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन और आयरन जैसे कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। कई अनुसंधानों के अनुसार इसमें एंटीएजिंग, एंटीकैंसर और एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं।
किनोवा के प्रकार
यह देखने में छोटे-छोटे गोल दानों के जैसा होता है। यह कई रंगों में बाजार में मौजूद है जैसे-लाल, नारंगी, गुलाबी. काला, सफेद, हरा आदि। इन सभी में से तीन मुख्य हैं, जो सामान्य रूप से मिल जाते हैं जैसे :-
सफेद किनोवा: इसका रंग सफेद होता है। यह सर्वाधिक आम प्रकार है, जो सबसे ज्यादा और आसानी बाजार में मिल जाता है। इसे आइवरी किनोवा के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसे पकाने में बहुत कम समय लगता है।
काला किनोवा: यह पकने के लिए अधिक समय लेता है और इसके बीज हल्के भूरे और काले रंग के होते हैं। इसे पकाने के बाद भी इसका रंग काला बना रहता है और इसका स्वाद हल्का मीठा होता है।
लाल किनोवा: इसका उपयोग सलाद जैसी चीजों में ज्यादा किया जाता है। पकने के बाद भी इसका रंग लाल ही बना रहता है।
किनोवा के उपयोग
इसका उपयोग साबुत अनाज, कच्चा या भुना हुआ आटा और पत्तों को भाजी के रूप में कई तरीकों से किया जा सकता है। इसे चावल की तरह उबाल कर खाया जा सकता है। सॉस, पत्ती, सलाद, अचार, सूप, पेस्ट्री, मिठाई, पेय पदार्थ, ब्रेड, बिस्कुट और पैन केक जैसे कई व्यंजनों में 15-20 प्रतिशत किनोवा का आटा मिलाकर तैयार किया जा सकता है। इसकी अंकुरण अवधि कम होती है यानी केवल 2-4 घंटे पानी में रखना, इसे अंकुरित करने के लिए पर्याप्त होता है। यह प्रक्रिया बीज को नरम करती है। ऐसे नरम बीजों का सलाद और अन्य खाद्य पदार्थों के लिए इस्तेमाल होता है। पूरे पौधे को हरे चारे के रूप में उपयोग किया जाता है। मवेशियों, भेड़ों, सूकरों, घोड़ों और मुर्गियों को खिलाने के लिए फसल के अवशेषों का भी उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियों, तने और दानों के औषधीय उपयोग हैं। इसका उपयोग फ्रेक्चर और आंतरिक रक्तस्राव के मामले और कीट से बचाने वाली क्रीम के रूप में किया जाता है।
किनोवा के फायदे
- रोजाना सुबह नाश्ते में इसका सेवन वजन घटाने में मददगार मधुमेह नियंत्रण में सहायक।
- इसमें मौजूद प्रोटीन कॉलेस्ट्रॉलमुक्त होने के कारण यह हमारे शरीर में कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है।
- खून की कमी को दूर करता है फाइबर, विटामिन 'बी' आदि तत्वों की मौजूदगी के कारण भोजन पचाने में सहायक।
- यह एंटीएजिंग का कार्य भी करता किनोवा का प्रतिदिन सेवन हार्ट अटैक, कैंसर और श्वास रोगों में लाभप्रद है एवं अन्य शारीरिक कमियों के निवारण के लिए उपयोगी।
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