जिस प्रकार मानव शरीर में हर प्रकार के खनिजों का पर्याप्त मात्रा में होना आवश्यक है। किसी भी एक की कमी होने पर उस तत्व की कमी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। पोटेशियम की कमी होने पर उसके कमी के लक्षण भी दिखाई देते हैं। जैसे कि शरीर में पानी की कमी होने के साथ काफी पसीना निकलना, घबराहट होना, शरीर में निरंतर थकान और कमजोरी का भाव रहना, काफी ज्यादा प्यास लगना, रक्तचाप का कम होना।
उसी प्रकार पौधों में पोटेशियम केले में पोटेशियम की कमी होने पर पौधों में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं जैसे -
1. खड़ी फसलों के पौधे में पोटाश की कमी से पौधों की पत्तियों का किनारा कटा - फटा और उनका अग्रभाग भूरा हो जाता है।
2. पत्तियां आकार में छोटी हो जाती हैं और उनकी वृद्धि रुक जाती है।
3. पुरानी पत्तियों का अग्रभाग नुकीला और पत्तियां किनारे से पीली पड़ने लगती हैं और बाद में पत्तियों का ऊतक मुरझाने लगता है , जिससे पत्तियां सूखने लगती है।
4. इसके साथ ही कीटों के लिए खराब प्रतिरोध, कमजोर और अस्वस्थ जड़ें तथा फलों का असमान पकना भी इसकी कमी के लक्षण है।
फसलें पोटेशियम का उपयोग काफी अधिक मात्रा में करती हैं। अधिकांश फसलें इसका निष्कासन नाइट्रोजन से अधिक करती है। मृदा उर्वरता तथा उत्पादकता के दीर्घकालिक टिकाऊपन के लिए पौधों द्वारा निष्कासित पोटाश की पूर्ति करने के लिए पोटाश उर्वरक का प्रयोग करना अत्यन्त आवश्यक है।