भारत में तिल की खेती पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु,महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवम उत्तर प्रदेश में की जाती हैI भारत के कुल उत्पादन 20 प्रतिशत उत्पादन अकेले गुजरात से होता हैI तिलहन उन फसलों को कहते हैं जिनसे वनस्पति तेल का उत्पादन होता है। जिसमें महत्वपूर्ण हैं तिल, सरसों,अरंडी,बिनौला, मूँगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी।
तिलहन की दृष्टि से किसानों को स्वावलंबी बनाने एवं तिलहन को किसानों की आय के स्रोत के रूप में बढ़ावा देने के उद्देश्य से तिलहन उत्पादन एवं बीज संरक्षण के सरकार की मंशा के अनुरूप कृषि विज्ञान केन्द्र बगही में तीन एकड़ क्षेत्रफल में तिलहन बीज उत्पादन के तहत सरसो की उन्नतिशील प्रजाति पीआर-21 की बुआई कराई गई है साथ ही क्षेत्र में करीब 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्रथम पंक्ति प्रदर्शन भी कराया गया है। सोमवार को कृषि विज्ञान केन्द्र पर बोई गई सरसो के पौधों का कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. अरविन्द सिंह निरीक्षण, किया। डा. सिंह ने बताया कि सरसो की यह प्रजाति काफी अच्छी प्रजाति है जो किसानों की आय को बढ़ाने में काफी हद तक सहायक हो सकती है।

श्री सिंह ने बताया कि इस प्रजाति के सरसो में तेल की मात्रा अन्य की अपेक्षा अधिक होती है। उन्होंने कहा कि सरसो की बुआई के 30 से 35 दिनों बाद इसकी सिंचाई अवश्य कर देनी चाहिए इससे इसका विकास अच्छी तरह हो जाता है और इसमें लगने वाली फली में अधिक मात्रा में दाने मिल पाते है। कृषि वैज्ञानिक डा. बी. बी. सिंह ने कहा कि बरसात के कारण अधिकांश किसान अभी तक सरसो की बुआई नहीं कर पाए हैं उन्हें चाहिए नवम्बर माह के अन्दर ही इसकी बुआई कर लें। डा. सिंह ने बताया कि सरसो में सल्फर का प्रयोग बहुत आवश्यक होता है। इसके प्रयोग से पौधा स्वस्थ होगा और इसमें उत्पादन भी अधिक होगा साथ ही सल्फर के प्रयोग से सरसों में तेल की मात्रा बढ़ जाता है।