नींबू वर्गीय फलों के पौधे जब 15 वर्ष के ऊपर के होने लगते है तब उनमें अचानक सूखने की समस्या पैदा हो जाती है। जिसे सिट्रस डिक्लाइन कहते हैं।इस बीमारी में नींबू को पौधे सर्वप्रथम ऊपर से सुखना प्रारम्भ करते है, तत्पश्चात पूरा पेड़ सुख जाता है। यह बीमारी अक्सर उस समय दिखाई देती है जब पेड़ पर नींबू के फल लदे होते है। अम्लीय मृदा में यह समस्या कुछ ज्यादा ही देखने को मिलती है अत: इसको प्रबंधित करने के लिए पोषण प्रबंध अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
सिट्रस डिक्लाइन को कैसे करें प्रबंधित?
सिट्रस डिक्लाइन को प्रबंधित करने के लिए नींबू के पेड़ो की समय से कटाई छटाई करना अनिवार्य है। सूखी एवं रोग ग्रसित डालियों को काट कर हटा दें। मुख्य तने पर लगे बोरर के छिद्रों को साफ़ कर उसमें पेट्रोल या किरोसिन तेल से भींगी रुई ठूंस कर बंद करे दें। मकड़ी के जालों तथा कैंकर से ग्रसित पत्तियों को साफ़ कर दें।डालियों के कटे भागों पर बोर्डो पेंट बनाकर लगायें। रोगग्रसित पत्तियों, डालियों को इक्ट्ठा करके जला दें तथा बागीचे की जमीन की गुड़ाई करें। रोगग्रसित पौधों में 25 किग्रा खूब सड़ी गोबर की खाद या कंपोस्ट के साथ 4.5 किलो नीम की खली एवं 200 ग्रा. ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला कर प्रति वयस्क पेड़ में रिंग बना कर दे। रासायनिक खादों में 1 किग्रा यूरिया + 800 ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट + 500 ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को प्रति वृक्ष के हिसाब से दो भागों में बांटकर जून-जुलाई और अक्टूबर में दें। इन खादों का प्रयोग हमेंशा मुख्य तने से 1 मीटर की दूरी पर रिंग बना कर देना चाहिए।
विषाणु रोगों को फैलाने वाले कीड़ों के नियंत्रण का समुचित प्रबंध करें। इसके लिए नई पत्तियों के निकलते समय ईमिडाक्लोरप्रिड @1 मिली प्रति 2 लीटर पानी या क्वीनालफास @ 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी या डाइमेथोएट @ 1 मि.ली. प्रति 1लीटर पानी या कार्बोरिल @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर दो छिड़काव करें, उपरोक्त दवा का प्रयोग अदल बदल कर करना चाहिए ।
मृदाजनित एवं पत्तियों पर लगने वाले रोगों के नियंत्रण का प्रबंध करें। फाइटोफ्थोरा के नियंत्रण के लिए मेटालैक्सिल एवं मैनकोजेब मिश्रित फफुंदनाशक को 2 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बना कर मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भींगा दे।एक वयस्क पेड़ की मिट्टी को भीगने में 6 से 10 लीटर दवा के घोल की आवश्यकता पड़ेगी।
सिट्रस कैंकर रोगों के प्रबंधन के लिए ब्लाइटॉक्स 50 की 2 ग्राम/लीटर पानी एवं स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या पाउसामाइसिन की 1ग्राम मात्रा प्रति 2 लीटर पानी में घोलकर नई पत्तियों के निकलते समय 2-3 छिड़काव करें। उपरोक्त उपाय करने से नींबू में अचानक सूखने की समस्या में भारी कमी आती है।
डॉ. एसके सिंह
प्रोफेसर सह मुख्य वैज्ञानिक( प्लांट पैथोलॉजी)
एसोसिएट डायरेक्टर रीसर्च
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय
पूसा , समस्तीपुर बिहार